प्रोडक्शन-एक्सपोर्ट पॉलिसी बढ़ाएगी सेना की ताकत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा प्रोडक्शन-एक्सपोर्ट पॉलिसी बढ़ाएगी सेना की ताकत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने पहली बार बड़ा कदम उठाते हुए डिफेंस प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट पॉलिसी-2020 का मसौदा तैयार किया है। यह पॉलिसी 2025 तक 1 लाख 75 हजार करोड़ के वार्षिक टर्नओवर के लक्ष्य को हासिल करने में सहायक होगी। इस पॉलिसी से हमारी ताकत बढ़ेगी और इंडिया डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को रोड मैप प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि डिफेंस इंडस्ट्री को खड़ा करने और चलाने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में दो डिफेंस कॉरिडोर बनाए गए हैं। एक उत्तर प्रदेश और दूसरा तमिलनाडु में। ये दोनों कॉरिडोर न सिर्फ घरेलू जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि भारत को एक नेट एक्सपोर्टर देश के रूप में भी स्थापित करेंगे।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला से टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल) द्वारा बनाया गया मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड (एमएमएचजी) का पहला बैच नागपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय सेना को सौंपा गया। ईईएल के अध्यक्ष सत्यनारायण नुवाल ने निजी क्षेत्र से हथियार की पहली डिलिवरी के मौके पर एमएमएचजी की स्केल प्रतिकृति रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी। इस अवसर पर सेनाध्यक्ष जनरल एस. एस. नरवणे, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव व डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, इनफैंट्री महानिदेशक ले. जनरल ए. के. सामंत्रा आदि उपस्थित थे।
मौजूदा ग्रेनेड से कई गुना घातक है यह
रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड की भारतीय सेना ने प्रशंसा की है। मतलब इसमें कोई खोट नहीं है। इसे पूरी तरह निजी क्षेत्र ने तैयार किया है। पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर की यह बड़ी मिसाल है। यह मौजूदा ग्रेनेड से कई घातक है। सेना ने 95 प्रतिशत इसकी गारंटी दी है, वहीं ईईएल ने 99 प्रतिशत इस पर भरोसा जताया है। इसकी डिजाइन विशिष्ट है, जो रक्षात्मक (फ्रैगमेंटेशन) तथा आक्रामक (स्टन) मोड में भी काम करता है। नए ग्रेनेड प्रथम विश्व युद्ध के विशिष्ट जायन के ग्रेनेड नंबर 36 का स्थान लेंगे, जो अभी तक सेवा में है। उन्होंने कहा कि ईईएल ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए 10 लाख आधुनिक हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए रक्षा मंत्रालय के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किया था। थोक उत्पादन मंजूरी से दो वर्षों में डिलिवरी की जाएगी।
2024 के बाद आयात नहीं करेंगे
ईईएल को थोक उत्पादन मंजूरी मार्च, 2021 में दी गई थी। पहले आदेश की डिलिवरी पांच महीने के भीतर की गई है। ईईएल ने 2016 में डीआरडीओ से तकनीक प्राप्त की थी, इसे डेटोनिक्स में उच्च गुणवत्ता बनाए रखते हुए सफलतापूर्वक समाविष्ट किया गया। भारतीय सेना और गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) ने 2017-18 की गर्मियों और सर्दियों में मैदानों, रेगिस्तान और ऊंचाई पर व्यापक परीक्षण सफलतापूर्वक किया। रक्षा क्षेत्र के लिए यह ऐतिहासिक दिन है। दुनिया में हथियार आदि के मामले में भारत को इंपोर्टर नहीं, बल्कि एक्सपोर्टर देश के रूप में पहचाना जाए, इसके लिए 209 वस्तुओं की सूची तैयार की गई है। 2024 के बाद किसी भी सूरत में दूसरे देशों से इम्पोर्ट नहीं करेंगे।