अब बारिश में नहीं टूटेगा गांवों का संपर्क, अतिदुर्गम क्षेत्रों में बनेंगे बेली ब्रिज
अब बारिश में नहीं टूटेगा गांवों का संपर्क, अतिदुर्गम क्षेत्रों में बनेंगे बेली ब्रिज
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली । आदिवासी व नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले का विकास अब तक नहीं हो पाया है। नदी-नालों पर आज भी पुलिया नहीं होने से बारिश के दिनों में अधिकांश गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। कई जगह जान जोखिम में डालकर नाव से सफर करना पड़ता है। इससे अनेकों की जान भी जा चुकी है। अब मुख्यालय से 12 माह संपर्क रखने जिले में 100 बेली ब्रिज यानी लोहे का रेडीमेड पुल बनाए जाएंगे। राज्य सरकार ने पहले चरण मेंआधुनिक तकनीक से तैयार होनेवाले 100 में से 7 पुलों को मंजूरी दी है। इसका काम जोरों पर शुरू है। अतिआवश्यक महत्वपूर्ण होनेवाले नदी नालों पर ही यह बेली ब्रिज निर्माण किए जाएंगे। शायद यह महाराष्ट्र का पहला ही प्रयोग होगा।
गौरतलब है कि लोक निर्माण कार्य विभाग ने दुर्गम क्षेत्र के नदी-नालों पर पुलिय निर्माण करने का कई बार प्रयास किया, लेकिन नक्सलदृष्टि से अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने से निर्माण ठेकेदार यहां काम करने सामने नहीं आते। कुछ ठेेकेदारों ने हिम्मत कर काम करना शुरू किया था लेकिन निर्माणकार्य की सामग्री की आगजनी और जान से मारने की कई घटनाएं हुई हैं। इसी कारण नक्सलग्रस्त दुर्गम क्षेत्र के नदी-नालों पर अत्यंत कम समय में तैयार होनेवाले बेली ब्रिज तैयार करने सरकार ने मंजूरी दी है।
ज्ञात हो कि, बारिश के दिनों में निर्माण होनेवाली समस्या हल करने तत्कालीन पालकमंत्री अम्ब्रीशराव आत्राम ने जिले में कई सड़क और पुलों का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। कई कामों की निविदा निकालने के बाद भी ठेकेदार नहीं मिल रहे थे। इसमें कई काम फिलहाल प्रगतिपथ है। प्रायोगिक तत्व पर बेली ब्रिज (यूनि ब्रिज) के कार्य प्रगतिपथ पर हैं। आगामी कुछ दिनों में जिले में तीन से चार बेली ब्रिज आवागमन के लिए खुले किए जाएंगे। इन सड़कों का कार्य अंतिम चरण में होकर बेली ब्रिज का इन्स्टालेशन होने के बाद ही इस मार्ग पर यातायात शुरू होगा।
सरकार ने प्रस्ताव भेजने कहा था
सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग ने राज्य सरकार को 100 बेली ब्रिज निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजे थे। इसमें अहेरी, एटापल्ली, भामरागड़ और चामोर्शी तहसील के 7 पुलों को पहले चरण में मंजूरी मिली है। - राजीव गायकवाड, अधीक्षक अभियंता लोक निर्माण विभाग