किसी भी उम्मीदवार को "अनुकंपा नियुक्ति गुपचुप नहीं ' दी जा सकती
याचिका खारिज किसी भी उम्मीदवार को "अनुकंपा नियुक्ति गुपचुप नहीं ' दी जा सकती
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि किसी भी उम्मीदवार को अनुकंपा नियुक्ति गुपचुप तरीके से नहीं दी जा सकती। इस तरह \"बैकडोर एंट्री' देने से लाखों बेरोजगार, जो सही मार्ग से नियुक्ति की आस लगाए होते हैं, उनके सपनों पर पानी फिर जाएगा। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक उम्मीदवार की याचिका 10 हजार रुपए कॉस्ट के साथ खारिज कर दी।
स्कूल की फर्जी टीसी जोड़ी थी
जरीपटका निवासी याचिकाकर्ता का जन्म 14 अप्रैल 1978 को हुआ था। उन्हें एक ठाकुर दंपत्ति ने वर्ष 1990 में गोद लिया, लेकिन वर्ष 2000 में ठाकुर दंपति की मृत्यु हो गई। पिता दक्षिण मध्य रेलवे में कार्यरत थे। पिता की मृत्यु के वक्त याचिकाकर्ता की 10वीं तक की पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी। इसलिए उन्हें यह नौकरी नहीं दी जा सकती थी। वर्ष 2009 में उन्होंने 10वीं पास की और वर्ष 2011 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन रेलवे ने इसे खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने रेलवे के खिलाफ केंद्रीय प्रशासकीय प्राधिकरण की शरण ली, लेकिन प्राधिकरण ने भी विविध कारणों से अर्जी खारिज कर दी। ऐसे में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई में पता चला कि याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी में स्कूल की फर्जी टीसी जोड़ी थी। हाई कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता पेंटिंग का काम करके अपनी आजीविका चला रहे हैं। उनका काम ठीक चल रहा है। पिता की मृत्यु के कई वर्षों बाद तक उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति की कोशिश नहीं की, जबकि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को तत्काल मदद करने का है। इन्हीं मुद्दों पर गौर करने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। रेलवे की ओर से एड.मुग्धा चांदुरकर ने पक्ष रखा।