यूपी सरकार पर चला एनजीटी का चाबुक, 120 करोड़ का लगाया जुर्माना
उत्तरप्रदेश यूपी सरकार पर चला एनजीटी का चाबुक, 120 करोड़ का लगाया जुर्माना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से नाराजगी जताते हुए जुर्माना लगा दिया है। दरअसल, गोरखपुर जिले में आमी राप्ती और रोहिन नदियों के साथ ही रामगढ़ताल में गंदा पानी गिर रहा है। नदियों में प्रदूषण फैलाने से नाराज एनजीटी ने 120 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने गोरखपुर में नदियों में 55 एमएलडी मतलब 55 मिलियन लीटर प्रति दिन यानी 55 करोड़ लीटर गंदा पानी गिराने के एवज में प्रदेश सरकार पर 110 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा नगर निगम क्षेत्र में इकट्ठा कूड़े पर एनजीटी ने जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति ने हालिया आदेश में कहा, महाराष्ट्र के मामले में मुआवजे के पैमाने को लागू करने पर, मुआवजा 11.40 करोड़ रुपये आता है जिसे 10 करोड़ रुपये किया जाता है। इस प्रकार, कुल मुआवजा 120 करोड़ रुपये निर्धारित किया जाता है।
एनजीटी के एक्शन के बाद अधिकारी एक्शन में आ गए हैं। हरित न्यायालय उत्तर प्रदेश गोरखपुर और उसके आसपास नदियों में प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।
शिकायतकर्ता की मुताबिक, दूषित पानी से एंटरो वायरस (ईवी) होता है। जो दिमागी बुखार है, जो जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के जैसा ही है। जिसका असर गोरखपुर में कई सालों तक देखा गया और कई बच्चों की मौत की वजह बना। बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में सैकड़ों बच्चों ने इस बिमारी की वजह से दम तोड़ दिया था।
मामले पर विचार करते हुए पीठ ने कहा, दो मुद्दे हैं- एंटरो वायरस पर नियंत्रण और प्रदूषण पर नियंत्रण। कुछ हद तक प्रदूषण अन्य बीमारियों के अलावा ईवी का स्रोत भी है। जबकि ईवी के नियंत्रण के मुद्दे पर, समिति की रिपोर्ट पिछले पांच सालों में लगातार प्रयासों के कारण ऐसे मामलों में बहुत हद तक कमी दिखाती है।
राज्य द्वारा स्वयं प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से, पिछले उल्लंघनों के अलावा, नालियों, नदियों और अन्य जल निकायों में गंदा पानी लगातर गिराया जा रहा है। यानी हर दिन 50 करोड़ लीटर से ज्यादा गंदा पानी इन नदियों में छोड़ा जा रहा है। मामले को देखने के लिए छह सदस्यीय संयुक्त समिति का भी गठन किया गया है। जांच के लिए बनाए गए पैनल का नेतृत्व एसीएस, यूडी, यूपी करेंगे, जिसमें क्षेत्रीय निदेशक, सीपीसीबी, क्षेत्रीय अधिकारी, एमओईएफ और सीसी, सदस्य सचिव, राज्य पीसीबी, पीसीसीएफ, (एचओएफएफ), यूपी और नगर निगम, गोरखपुर शामिल रहेंगे।
आदेश में कहा गया है, समिति एक महीने के भीतर बैठक कर सकती है और प्रदूषण को रोकने के लिए कार्य योजना को अपडेट कर सकती है। ताकि 6 महीने के अंदर इसके अच्छे परिणाम मिल सकें।
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