नागपुर यूनिवर्सिटी देगा जरुरतमंद विद्यार्थियों को स्टूडेंट लोन
नागपुर यूनिवर्सिटी देगा जरुरतमंद विद्यार्थियों को स्टूडेंट लोन
डिजिटल डेस्क,नागपुर। नागपुर यूनिवर्सिटी ने अपने सभी संलग्नित कॉलेजों और पीजी विभागों में पढ़ रहे गरीब विद्यार्थियों की आर्थिक सहायता की दृष्टी से स्टूडेंट लोन की योजना शुरु की है। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विद्याधन कर्ज योजना के तहत विद्यार्थी के कुल शैक्षणिक खर्च की 70 प्रतिशत रकम लोन के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। बैंक लोन की ब्याज दर 11 प्रतिशत या इससे कम हुई तो यह ब्याज विश्वविद्यालय द्वारा भरा जाएगा। 11 प्रतिशत से ज्यादा होने पर ब्याज का कुछ हिस्सा विद्यार्थी को भी भरना होगा। जरुरतमंद विद्यार्थी हर साल 5 सितंबर तक इसका आवेदन अपने कॉलेज या विभाग में जमा करा सकते हैं। प्रत्येक कॉलेज स्तर पर एक वरिष्ठ प्रोफेसर को इस योजना का नोडल ऑफिसर नियुक्त किया जाएगा। विश्वविद्यालय स्तर पर विद्यार्थी कल्याण विभाग संचालक को नोडल ऑफिसर बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि नागपुर विश्वविद्यालय ने हाल ही में यह फैसला लागू किया है। पहली बार ही विश्वविद्यालय स्टूडेंट लोन की सुविधा देने जा रहा है। इस योजना के कार्यांवन के लिए विद्यार्थी कल्याण विभाग संचालक डॉ.अभय मुद्गल, सीनेट सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी, विष्णू चांगदे और विवि वित्त व लेखा अधिकारी डॉ.राजू हिवसे की समिति ने योजना की रूपरेखा तय की है। इस योजना में पहले से छात्रवृत्ति धारक, प्रवेश लेकर रद्द करने वाले, मैनेजमेंट कोटा से प्रवेश प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पात्र नहीं माना जाएगा। विद्यार्थी को वार्षिक रूप से यह कर्ज मिलेगा। प्रत्येक वर्ष की किश्त देने के पूर्व नागपुर विश्वविद्यालय की एनओसी जरुरी होगी। इसी प्रकार अगर विद्यार्थी कोर्स खत्म होने के पहले ही प्री-पेमेंट करने जा रहे है तो भी इसकी जानकारी विश्वविद्यालय को देनी होगी।
इधर बैंकों के लिए भी कुछ नियम तय किए गए है। बैंक विद्यार्थियों को कैश के रूप में लोन की रकम नहीं दे सकेंगे, उन्हें विद्यार्थी के कॉलेज को सीधे फीस की रकम का भुगतान करना होगा। विश्वविद्यालय से नागपुर, भंडारा , गोंदिया और वर्धा जिले में करीब 500 महाविद्यालय संलग्न है, जहां करीब 4 लाख विद्यार्थी पढ़ते है। इनमें से कई विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। ऐसे में लंबे समय से इनके लिए स्टूडेंट लोन की सुविधा शुरू करने की मांग शिक्षा वर्ग की ओर से उठाई जा रही थी। आखिरकार विश्वविद्यालय ने इसे मान्य कर लिया है।