प्याज काटते वक्त मां की आंखों में आंसू नहीं कर सका बर्दाश्त और बना डाला स्मार्ट चाकू
बीड के होनहार ने किया नाम रोशन प्याज काटते वक्त मां की आंखों में आंसू नहीं कर सका बर्दाश्त और बना डाला स्मार्ट चाकू
डिजिटल डेस्क, बीड। प्याज काटते वक्त मां की आंखों में आंसू बर्दाश्त नहीं हुए तो एक होनहार सुपुत्र ने मास्टर चाकू बना डाला। जिला परिषद की स्कूल में सातवी कक्षा में अध्ययनरत ओंकार अनिल शिंदे के इस अविष्कार की भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। ओंकार के इस न्यू मॉडल को स्मार्ट नाइफ का नाम दिया गया है । भारत सरकार की ओर से स्मार्ट मानक योजना में ओंकार का राज्य स्तर से चयन हुआ है।
जानकारी के अनुसार बीड निवासी अनिल शिंदे के पुत्र ओंकार अपनी मां की आंखों में आंसू देख व्याकुल हो उठा उसने अपनी मां से पूछा आपकी आंखों में आंसू क्यों आ रहे हैं। मां बताया कि प्याज काटते वक्त सभी की आंखों में आंसू आते ही हैं । ओंकार ने उस दिन से मां की आंखों में आंसू न आने देने का संकल्प लिया और तैयारी शुरू की। ओंकार ने अपनी स्कूल के शिक्षक भाऊसाहब राणे से इस बारे में बातचीत की। शिक्षक ने बताया कि प्याज काटते समय केमिकल रि-एक्शन होता है और गैस निकलती है। जब ये गैस पानी के संपर्क में आती है तो एसिड बनता है.। इसी वजह से हमारी आंखों में जलन होने लगती है। इससे आंखों में आंसू आते हैं ।कुछ दिन बीत जाने पर ओंकार ने अपने शिक्षक के मार्गदर्शन से स्मार्ट चाकू बनाने का प्रयास किया और आखिरकार उसे सफलता मिली। स्मार्ट चाकू बनाकर ओंकार ने मराठवाडा सहित महाराष्ट्र में अपना और अपने परिजनों का नाम रोशन किया है।
ओंकार का राज्य स्तर पर चयन
वैज्ञानिक तंत्रज्ञान के प्रयोग के तहत ओंकार ने अपनी मां को प्याज काटते वक्त आंखों से आंसू से मुक्त कराया है । इसे स्मार्ट नाइफ नाम दिया गया है । भारत सरकार की ओर से स्मार्ट मानक योजना के तहत स्कूल के बच्चों में वैज्ञानिक तंत्र ज्ञान में रूचि बढ़ाने के लिए रजिस्ट्रेशन कर अवसर दिया जाता है इस योजना में ओंकार शिंदे का राज्य स्तर से चयन हुआ है। भाऊसाहब राणे ( विज्ञान शिक्षक कुर्ला )
ऐसे तैयार किया स्मार्ट चाकू
प्याज काटते वक्त जो गैस निकलती है वह गैस आंखों तक न पहुंचे इसलिए नाइफ के हैंड पर ड्रोन मोटर लगाकर उसपर एक छोटा फैन लगाया है जो बैटरी की सहायता से ऑपरेट होती है। प्याज काटते वक्त निकलने वाली गैस विरोध दिशा में जाती जिससे गैस आंखों के संपर्क नहीं होने से आंसू भी नहीं आते हैं। इस चाकू का इस्तेमाल होटल, ढाबे और अन्य खाद्य पदार्थ बनने वाले प्रतिष्ठानों में होने की उम्मीद की जा रही है।