गुजरात सहित चार राज्यों के बीच फंसा छत्तीसगढ़ में शराब बंदी का मसला

छत्तीसगढ़ गुजरात सहित चार राज्यों के बीच फंसा छत्तीसगढ़ में शराब बंदी का मसला

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-19 14:54 GMT
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डिजिटल डेस्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ में सियासी मुद्दा बन चुकी ‘शराबबंदी’ का मसला गुजरात सहित चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश के बीच फंस कर रह गया है। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय से चले आ रहे शराबबंदी के मामले में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए त्रि-स्तरीय समिति बनाई थी। इन समितियों को शराब बंदी के मुद्दे पर बराबरी से काम करना था। पहली समिति को शराबबंदी वाले राज्यों गुजरात, बिहार, मिजोरम तथा नागालैंड सहित केंद्र शासित राज्य लक्ष्य दीप, वहां चल रही व्यवस्था का अध्ययन करने जाना था।

दूसरी समिति में सामाजिक संगठनों के अलग-अलग सदस्य शामिल कर, यह राय ली जानी थी कि राज्य में शराबबंदी कैसे हो? जबकि तीसरी समिति में राज्य के प्रमुख दलों के विधायकों को शामिल करना था, जिनके जिम्मे जो शराबबंदी की अनुशंसा करना था।सबसे महत्वपूर्ण समिति थी राजनीतिक कमेटी। इसके प्रमुख वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा बनाए गए थे। इस समिति की पिछले तीन साल में मात्र तीन बैठके हुईं। इनमें शराबंदी पर चर्चा भी हुई। तय यह हुआ कि पहले एक दल उन सभी राज्यों में भेजा जाए जहां पूरी तरह शराबबंदी है। गौरतलब है कि गुजरात, बिहार, मिजोरम, नागालैंड और केंद्र शासित राज्य लक्ष्य दीप में पूर्णता शराबबंदी है। जबकि कुछ राज्यों में शराबबंदी का निर्णय लिया गया था, लेकिन बाद में निर्णय को वापस लिया गया। जैसा सत्यनारायण शर्मा बताते हैं, ‘शराबबंदी के लिए राज्यों के दौरे पर जाने के लिए पत्राचार किया गया है। जवाब आते ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी।’

अध्ययन किए बिना कुछ संभव नहीं

सत्यनाराण शर्मा के अनुसार कोई भी व्यवस्था लागू करने से पहले उसका अच्छे-बुरे प्रभाव का अध्ययन करना जरूरी होता है। हमने भी यही निर्णय लिया। शराबंदी वाले राज्यों में व्यवस्था का इध्ययन करने जाने वाले दल को शराबबंदी से राज्य के वित्तीय ढांचे तथा अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले प्रभाव का अध्ययन करना था। इसके अलावा शराबबंदी का सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव, लागू करने में आने वाली परेशानियां, अवैध शराब की बिक्री व परिवहन पर कार्रवाई की व्यवस्था को भी समझना था। यही नहीं इसे यह भी देखना था कि एसटी वर्ग को निर्धारित सीमा तक शराब बनाने व रखने की छूट और शराबबंदी का वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर क्या-क्या प्रभाव पड़ा।

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