नए कलेवर में आधुनिक खेती को आगे बढाएंगे कृषि विज्ञान केंद्र

उत्तरप्रदेश नए कलेवर में आधुनिक खेती को आगे बढाएंगे कृषि विज्ञान केंद्र

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-08 06:30 GMT
नए कलेवर में आधुनिक खेती को आगे बढाएंगे कृषि विज्ञान केंद्र
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डिजिटल डेस्क, लखनऊ। देश में कृषि आधुनिकरण, शोध, किसानों के बीच तकनीकी जानकारी के प्रसार के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका को बढ़ाने और प्रभावी होने जा रही है। राज्य में इनकी संख्या 60 से बढाकर 89 तक पहुंच गई है। आज हर जिले में एक केवीके है। अब ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से काम होगा। इसीलिये इन्हें नए कलेवर में तैयार किया जा रहा है।

जिला स्तर पर बनाए गए इन केंद्रों में खेतीबाड़ी एवं पशुपालन से संबंधित एक्सपर्टस होते हैं। समय-समय पर वह किसानों को इस बाबत उपयोगी एवं अद्यतन जानकारी मुहैया कराते हैं।मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि उत्पादन, उत्पादकता के लिए स्थानीय किसानों के लिए मॉडल केन्द्र के रूप में विकसित हों।

कृषि विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के सभी विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों, प्रभारियों के साथ 10 से 12 सितम्बर तक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ में आयोजित होनी है। इस कार्यशाला में सभी केंद्रों के एक वर्ष की प्रगति समीक्षा के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

कृषि विज्ञान केंद्रों की बेहतरी को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा लगातार दिये गये निर्देशों का ही नतीजा है कि कृषि विज्ञान केन्द्र बस्ती को डिजिटल इनोवेशन के लिए आईसीएआर (इंडियन कॉउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च) द्वारा पुरस्कृत किया गया है। इसी क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र हैदरगढ़, (बाराबंकी) को आउटलुक एग्रीटेक समिट एण्ड अवार्ड-2022 के लिए चुना गया।

केवीके के कायाकल्प की यह प्रक्रिया अभी जारी है। प्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के कायाकल्प के लिए 200 करोड़ रुपये स्वीकृत कर जारी किए गए हैं। यह पैसा पांच सालों में खर्च किया जाना है। 10 सितंबर को प्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों का एक तीन दिवसीय कार्यशाला मेरठ में आयोजित किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि हर केंद्र के पास पर्याप्त बुनियादी संरचना है। इनमें पब्लिक,प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर भंडारण, कोल्डस्टोरेज और प्रसंस्करण इकाइयों की संभावना तलाशने का मुख्यमंत्री पहले ही निर्देश दे चुके हैं। इसी क्रम में कुछ केवीके में प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने का भी निर्देश दिया जा चुका है। काम को लेकर इन केंद्रों में स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा हो इसके लिए सरकार इनके मूल्यांकन की व्यवस्था भी कर रही है।

उल्लेखनीय है कि इन केवीके केंद्रों में से 25 नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या, 15 चंद्रशेखर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, 20 सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, 7 कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा और 22 आईसीआर, बीएचयू, शियाट्स नैनी कृषि संस्थान एवं एनजीओ से संबंधित हैं।

 

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