केरल हाई कोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन के डेयरी फार्म बंद करने के आदेश पर रोक लगाई, स्कूली बच्चों के मेनू से मांस को बाहर नहीं किया जाएगा
केरल हाई कोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन के डेयरी फार्म बंद करने के आदेश पर रोक लगाई, स्कूली बच्चों के मेनू से मांस को बाहर नहीं किया जाएगा
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल पटेल के दो विवादास्पद आदेशों पर रोक लगा दी। एडमिनिस्ट्रेटर ने द्वीपों पर डेयरी फार्मों को बंद करने और चिकन, बीफ और अन्य मांस को मेनू से बाहर करके स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन आहार को बदलने का फैसला लिया था। चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने प्रशासन के इस फैसले पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
वकील और लक्षद्वीप के कवरत्ती के मूल निवासी अजमल अहमद द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में यह आदेश पारित किया गया है। कोर्ट ने यूटी प्रशासन और पटेल से जवाब भी मांगा है। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि प्रशासक के फैसले मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं। याचिका में तर्क दिया गया कि निर्णयों का उद्देश्य द्वीपवासियों की संस्कृति और खाने की आदतों को नष्ट करना है। याचिका में कहा गया कि डेयरी फार्मों को बंद करने और जानवरों की नीलामी करने का निर्णय द्वीपों पर निर्वाचित स्थानीय निकायों के साथ उचित परामर्श के बिना लिया गया था।
पिछले कई महीनों में, लक्षद्वीप एडमिनिस्ट्रेशन के कई प्रस्तावों ने द्वीपों पर गुस्सा भड़काया है, जिसके कारण विरोध और गिरफ्तारी हुई है। प्रफुल पटेल ने लक्षद्वीप के नए प्रशासक का पदभार 5 दिसंबर 2020 को संभाला है। उन्होंने 28 मार्च 2021 को नया ड्राफ्ट पेश किया था। इनमें बीफ़ बैन, पंचायत चुनाव में उन लोगों के लड़ने पर पाबंदी, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, लोगों की गिरफ़्तारी, शराब से बैन हटाने और भूमि अधिग्रहण से जुड़े नए नियम शामिल हैं। ये सभी अभी ड्राफ़्ट हैं, जिन्हें अगर गृह मंत्रालय की मंज़ूरी मिल जाए, तो ये क़ानून की तरह लागू हो जाएंगे।
प्रफुल पटेल पर लक्षद्वीप के लोग "वहां की संस्कृति, रहने, खाने के तरीक़ों को नुक़सान पहुंचाने और बेवजह डर फैलाने" की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि हाल के कई प्रस्तावित नियम "लोकतांत्रिक मर्यादा के ख़िलाफ़" हैं। कई लोगों ने लक्षद्वीप में कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे पटेल की ख़राब नीतियों को ज़िम्मेदार बताया है। लोगों का कहना है कि पिछले प्रशासक ने कोरोना को देखते हुए लक्षद्वीप आने पर पाबंदी लगाई थी, पटेल ने नियमों में ढील दी जिसके कारण अब हर द्वीप पर मामले हैं।