ब्लैक फंगस संक्रमण की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य आयुक्त के निर्देश जारी!
ब्लैक फंगस संक्रमण की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य आयुक्त के निर्देश जारी!
डिजिटल डेस्क | खण्डवा स्वास्थ्य आयुक्त श्री आकाश त्रिपाठी ने कहा है कि ब्लैक फंगस के संक्रमण से उत्पन्न लक्षणों का चिन्हांकन कर त्वरित उपचार सुनिश्चित किया जाए तथा समस्त कोविड संदिग्ध, पुष्ट रोगी और स्वस्थ हो चुके छुट्टी प्राप्त कोविड रोगियों में मधुमेह का उचित चिन्हांकन एवं नियंत्रण किया जाये। उन्होंने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, प्रभारी कोविड अस्पताल एवं चिकित्सा महाविद्यालयों के अधिष्ठाता को निर्देश दिये है कि ब्लैक फंगस से होने वाले रोगों के प्रति सजग रहकर रोगियों का उचित उपचार सुनिश्चित किया जाए। राज्य शासन भी ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिये गंभीरता से प्रयास कर रही है।
राज्य शासन द्वारा ब्लैक फंगस संक्रमण के निःशुल्क उपचार के लिए प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा चिकित्सा महाविद्यालयों में ईकाइयों का गठन किया गया है। इनमें मेडिसन विभाग, नेत्र विभाग, न्यूरो सर्जरी एवं नाक, कान, गला विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं। उपचार के दौरान ये सावधानियां रखनी होगी स्वास्थ्य आयुक्त श्री आकाश त्रिपाठी ने ब्लैक फंगस के संक्रमण को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। जारी निर्देशों में कहा गया है कि कोविड-19 के पुष्ट रोगी के साथ-साथ कोविड-19 के संदिग्ध रोगी एवं कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्तियों में डायबिटीज की प्रतिदिन निगरानी रखी जाये एवं उस पर नियंत्रण किया जाये।
जिन रोगियों को चिकित्सीय परामर्श अनुसार स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें रेंडम ब्लड शुगर स्तर की दैनिक निगरानी हर 8 घंटे के अंतराल पर सुनिश्चित की जाये। किसी भी स्थिति में स्टेरॉयड एवं ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स का अनावश्यक अनुचित सेवन नहीं कराया जाये। स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा निर्देश दिए गए है कि ऑक्सीजन सपोर्टेड रोगियों के लिए ह्यूमिडिफायर बॉटल में स्टराइल अथवा डिस्टिल्ड वाटर का उपयोग किया जाये एवं नियमित रूप से पानी को बदलते रहें। मरीजों के लिये उपयोग होने वाला ऑक्सीजन मास्क, कैनुला को नियमित रूप से सैनेटाइज किया जाये।
अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों में संक्रमण के नियंत्रण के लिए प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन करने के निर्देश भी दिए गए है। ब्लैक फंगस संकम्रण के लक्षण ब्लैक फंगस संक्रमण की पहचान रोगियों के नाक, मुख और आँख से काले कण अथवा काला रिसाव होना, नाक बंद होना, नाक के आस-पास गालों की हड्डियों में दर्द, चेहरे में दर्द, लगातार सिर दर्द होना, जबड़े, दांत, आँख में दर्द, बुखार आना, शरीर में नील पड़ना, साँस लेने में परेशानी होना, सीने में दर्द, फेफड़ों में पानी आना, खून की उल्टी होना, मुँह से बदबू आना और मानसिक भ्रम जैसे लक्षणों से होती हैं।