एसीसी कंपनी पीएफ चोरी नहीं करती तो न आंदोलन होता न ही कामगार की मृत्यु होती!
चंद्रपुर एसीसी कंपनी पीएफ चोरी नहीं करती तो न आंदोलन होता न ही कामगार की मृत्यु होती!
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। विवादाें में रहनेवाली नकोड़ा की एसीसी चांदा सीमेंट कंपनी में विगत दिनों कंपनी के अधिकारियों व नेता की प्रताड़ना से मानसिक तनाव में रहनेवाले एक कामगार की हार्ट अटैक से मृत्यु हुई थी। यह अटैक नहीं बल्कि मानव हत्या है। अगर कंपनी ने पीएफ चोरी नहीं किया होता तो ना आंदोलन होते थे ना ही चार कामगारों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ती और ना ही हरिदास मोहजे की मृत्यु होती। यह हत्या होने का आरोप लगाते हुए सफेद कामगार संगठन के अध्यक्ष सुरेश पाईकराव ने थाने में शिकायत दी। कामगार को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन करने की चेतावनी दी है। दरम्यान एसीसी कंपनी में पीएफ चोरी विषय को लेकर कुछ वर्ष से 7 ए में सुनवाई चल रही है। फिर 1 अगस्त को नागपुर पीएफ कार्यालय में मीटिंग आयोजित की गई है। बता दें कि, पहले 6 अगस्त 2021, 12 जनवरी 2022, 7 मार्च 2022, 4 अप्रैल 2022 को बैठक हुई थी।
करोड़ों रुपए का पीएफ बकाया
कामगारों के अनुसार एसीसी कंपनी के न्यू पैकिंग हाउस के 190 तो मेंटेनेंस के 13 कामगारों का पीएफ चोरी कर 2011 से बराबर भरा नहीं गया है। तब से लेकर अब तक कई आंदोलन हुए। दरम्यान कंपनी ने 18 माह का पीएफ 1 करोड़ 5 लाख रुपए भरने के लिए कंपनी मजबूर हुई। बावजूद और 24 से 30 माह का पीएफ शेष है, जिसकी राशि 2 से 3 करोड़ रुपए है, जो अब तक नहीं भरी गई। कंपनी कामगारों पर दबाव बनाकर धमकाते हुए 18 कामगारों को निलंबित किया गया था। एसीसी कंपनी के अधिकारी का पीएफ कमीश्नर से कहना है कि, 2011 से 2015 तक कामगारों का रिकार्ड हमारे पास नहीं है। इस बीच 18 कामगारों को एक-एक करते हुए जांच कर कंपनी ने काम से कम करने की धमकी दी। आंदोलन में मारपीट होने से कामगार डरकर कंपनी में गए परंतु चार कामगारों ने इसका विरोध किया। इन चार कामगारों को पीएफ की शिकायत वापस ले अन्यथा काम से कम करने की धमकी दी गई। धमकी से न डरते हुए चार कामगार अपनी भूमिका पर तटस्थ रहे। पीएफ का मामला जारी था कि, चार कामगारों काम से निकाल दिया। इसका यह अर्थ होता है कि, कंपनी को शेष पीएफ भरना नहीं है इसलिए कामगारों पर इस तरह से दबाव बनाने का आरोप पाईकराव ने लगाया है।
मानसिक तनाव में रहता था कामगार
19 जुलाई को लेबर कमीश्नर आफिस नागपुर की मीटिंग में संबंधित 4 कामगारों को काम से निकालने की चर्चा थी, जिससे यहां के कामगारों में खलबली मच गई थी। मोहजे इन चार कामगारों के संपर्क में था। जिससे मोहजे मानसिक रूप से टूट गए और 20 जुलाई को सुबह काम पर उन्हें अटैक आया और मृत्यु हुई। मृतक के परिजनों के अनुसार वे कुछ दिनों से कंपनी के विषय को लेकर मानसिक तनाव में रहते थे। दरम्यान पाईकराव ने कहा कि, इन चार कामगारों को पुन: काम पर नहीं लिया और मोहजे को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन की चेतावनी दी है। विगत दिनों की पाईपकराव की पुलिस शिकायत में कंपनी के अधिकारी पुष्कर चौधरी, प्रफुल पाटील, कामगार नेता देवेंद्र गहलोत, विवेक पचारे, अनुप सिंह, सैयद इसताक, बंटी अडूर, सिनू बहादूर के नाम थे, जो धमकाकर परेशान करने की बात मोहजे ने बताई थी। इन पर मामला दर्ज करने की मांग पाईकराव ने की है।