लॉ ग्रेजुएट यौन उत्पीड़न मामले में हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को किया खारिज
कर्नाटक लॉ ग्रेजुएट यौन उत्पीड़न मामले में हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को किया खारिज
- आरोपी के खिलाफ मामला कठोर
- प्रभावशाली व्यक्ति सिस्टम को रिश्वत दे सकता है
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु । कर्नाटक हाईकोर्ट ने कानून स्नातक की छात्रा द्वारा दायर यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी वरिष्ठ अधिवक्ता केएसएन राजेश भट की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोपी फिलहाल पुलिस हिरासत में है।
न्यायमूर्ति के. नटराजन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आरोपी एक वकील है और पुलिस, विश्वविद्यालय और न्यायाधीशों को प्रभावित कर सकता है। पीठ ने कहा कि इन मामलों में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि पीड़िता द्वारा आरोपी के खिलाफ जारी सुबूतों के शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 376 के तहत दुष्कर्म का मामला दर्ज करना संभव नहीं है।
इसी तरह आईपीसी की धारा 354 के तहत दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में किसी व्यक्ति को फांसी नहीं दी जा सकती है। आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध के लिए तीन साल की कैद की सजा हो सकती है। साथ ही शिकायत दर्ज करने में देरी होती है। उन्होंने कहा कि पीड़िता का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज को नष्ट कर दिया गया है। हालांकि, उन्हें अब भी दोबारा हासिल किया जा सकता है। वकील ने कहा याचिकाकर्ता ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है और उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया है। पुलिस को उसे हिरासत में लेने और जांच करने की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए, उसे अग्रिम जमानत दी जा सकती है। लोक अभियोजक ने इस पर आपत्ति जताई और अदालत से कहा कि पुलिस के लिए उसे आगे की जांच के लिए हिरासत में लेना जरूरी है। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप हासिल करने के लिए उसका मोबाइल जब्त किया जाना है।
उन्होंने कहा कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और कहा जा रहा है कि वह सिस्टम को रिश्वत दे सकता था। आरोपी के खिलाफ मामला कठोर है। इस मामले में उनके द्वारा सबूत नष्ट करने की पूरी संभावना है। पीठ ने तर्क और जवाबी दलीलों को सुनने के बाद पाया कि आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप है। अगर पीड़िता द्वारा शिकायत पर विचार किया जाता है, तो ऐसा लगता है कि आरोपी ने एक इंटर्न के रूप में काम कर रही पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी। हालांकि पीड़िता के सतर्क होने के कारण उसके दुष्कर्म पीड़िता बनने की संभावना टल गई है। पीठ ने आरोपी के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यहां तक कि ऐसे कोई आरोप नहीं हैं जो मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दे सकते हैं, इस तरह के गंभीर प्रकृति के मामले के लिए अग्रिम जमानत प्रदान नहीं की जा सकती है। आरोपी ने सोमवार को कर्नाटक के मंगलुरु में स्थानीय अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए विशेष टीमों का गठन किया है और दो महीने से अधिक समय से उसकी तलाश कर रही है।
पीड़िता लॉ ग्रेजुएट की छात्रा है। उसने आरोपी केएसएन राजेश भट के खिलाफ 18 अक्टूबर को यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। मामला दर्ज कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने उसे विदेश भागने से रोकने के लिए देश के सभी हवाई अड्डों पर इंटेलिजेंस ब्यूरो के माध्यम से लुकआउट नोटिस जारी किया था। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए चार टीमों का गठन किया गया। पुलिस ने आरोपी व्यक्ति के 12 बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए बैंकों को नोटिस दिया है। उनसे कहा गया है कि जब भी आरोपी द्वारा पैसे का लेन-देन किया जाता है तो पुलिस को सूचित करें। आरोपी को अगले आदेश तक कर्नाटक राज्य बार काउंसिल की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ प्राथमिकी के बाद अदालतों में अभ्यास नहीं करने के निर्देश दिए गए। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों ने पहले आरोपी को तीसरे अतिरिक्त जिला और सत्र अदालत में विशेष लोक अभियोजक के रूप में जारी नहीं रखने का निर्देश दिया था। जांच चल रही है।
(आईएएनएस)