घरेलू हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने मामला रद्द करने से किया इनकार
नागपुर घरेलू हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने मामला रद्द करने से किया इनकार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कहा है कि घरेलू हिंसा के मामलों में अक्सर पीड़ित महिलाएं पुलिस में शिकायत करने से बचती हैं। उन्हें डर रहता है कि इससे कहीं उनका वैवाहिक जीवन खराब न हो जाए। पीड़िता का पुलिस में शिकायत न करने का अर्थ यह नहीं है कि उसकी घरेलू हिंसा को लेकर कोई शिकायत नहीं है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के आरोपी नागपुर निवासी पति और ससुर के खिलाफ मामला रद्द करने से स्पष्ट इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।
यह है पूरा मामला
इस दंपति का विवाह 28 दिसंबर 2014 को संपन्न हुआ था, लेकिन विवाह के बाद से ही महिला को उसका पति और ससुर प्रताड़ित करने लगे। यह सिलसिला कई वर्षों तक चला, अंतत: पीड़िता जुलाई 2020 से अपने पति से अलग रहने लगी। इसके बाद पीड़िता ने न्यायदंडाधिकारी के पास दायर अर्जी में पति और ससुर पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना करने का आरोप लगाया। उसने बताया कि आरोपियों ने कई बार उससे मारपीट की। जब वह एक माह की गर्भवती थी, तब दोनों आरोपियों ने मिल कर मामूली सी बात पर उसे पीटा। इतना ही नहीं गर्भ के आठवें महीने में भी उससे मारपीट हुई। डिलीवरी के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। निचली अदालत से मामले में दोनों आरोपियों को नोटिस जारी हुआ। इसे खारिज करने के लिए पति और ससुर ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। उन्होंने अपने बचाव में दलील दी कि पीड़िता द्वारा लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। इतनी बार पिटाई करने का आरोप लगा कर पीड़िता ने एक बार भी पुलिस में शिकायत नहीं की। लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनकर उक्त निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने आरोपियों की याचिका खारिज कर दी।