मलखंब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी पर काम कर रही सरकार-ठाकुर
महाराष्ट्र का पारंपरिक खेल मलखंब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी पर काम कर रही सरकार-ठाकुर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय खेल,युवा मामलों और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार भारत के प्राचीन और महाराष्ट्र के पारंपरिक मलखंब को राष्ट्रीय खेल बनाने के साथ ही इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की दिशा में तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि खेल फेडरेशन से कहा गया है कि वह मलखंब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के दिशा में कदम उठाए।
2023-24 के आम बजट पर पत्रकारों से बातचीत में खेल मंत्री ठाकुर ने कहा कि प्राचीन सहित एशियाई खेलों को बढावा देने के लिए सरकार ने पिछले साल के मुकाबले इस साल के बजट में 723.97 करोड़ रुपये अधिक का प्रावधान किया है। 2022-23 में खेलों के लिए 2673.35 करोड़ मिले थे। इस बार 3397.32 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। उन्होंने खेल को बढावा देने के लिए विभिन्न योजना की जानकारी देते हुए बताया कि विभाग के कई पदों को सरेंडर करके पिछले एक साल में 450 खेल प्रशिक्षकों को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा खेल के लिए बुनियादी ढांचा विकसित कर रहे है। इसके तहत देशभर में सेंटर फॉर स्पोर्ट्स एक्सीलेंस, एक हजार खेल सेंटर बना रहे है।
मंत्री ठाकुर ने बजट को समावेशी, सर्वस्पर्शी और हर वर्ग को लाभ देने वाला बजट करार देते हुए कहा कि इसमें ट्राइबल से लेकर महिला, बुजुर्गों सहित सभी का समान ध्यान रखा गया है। 2019 से बजट में विनिवेश के लक्ष्य को लगातार बढाने वाली सरकार ने 2022-24 के मुकाबले इस वर्ष के बजट में लक्ष्य को और भी कम करने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने इसके पीछे कोरोना महामारी वजह बताते हुए कहा कि इस दौरान हमारी प्राथमिकताएं अलग थी और ऐसे समय में सरकार विनिवेश के लक्ष्य को कम करने का फैसला किया। कंपनियों के विनिवेश या बेचने की जहां तक बात है, यह भी देखना जरूरी है कि सही दाम मिल रहे है या नहीं। उन्होंने कहा कि बैंकों का एनपीए बढा हुआ था, लेकिन अब मोदी सरकार में सभी बैंक प्रॉफिट में चल रहे है। पिछले साल पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए और इस साल नौ राज्यों में चुनाव हो रहे है, क्या चुनाव के मद्देनजर सरकार ने विनिवेश के लक्ष्य घटाया है, इस बात से उन्होंने इंकार किया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है।
गौरतलब है कि 2014 से सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार ने विनिवेश का बड़ा-बड़ा लक्ष्य निर्धारित करती रही है। 2019-20 में 1,05,000 करोड़ रुपये, 2021 में 2,10,000 करोड़ रुपये और 21-22 में 175,000 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था, लेकिन पिछले साल के बजट में सरकार ने छह अंकों के बजाय पांच अंकों में लक्ष्य निर्धारित करते हुए 65000 करोड़ रखा। अब 2023-24 के लिए विनिवेश का लक्ष्य केवल 51000 करोड़ रुपये रखा है