यूपी के हर हांथों में खादी पहुंचाने की सरकार कर रही तैयारी
उत्तर प्रदेश यूपी के हर हांथों में खादी पहुंचाने की सरकार कर रही तैयारी
- धागों की गुणवत्ता सुधरने के साथ बढ़ेगा उत्पादन
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। खादी वस्त्र नहीं विचार है। यह बीते दिनों की बात होने वाली है। वजह खादी की अब रेंज बढ़ने वाली है। न सिर्फ खादी के कपड़े बनेंगे, बल्कि जूते, बैग, फैंसी पर्स आदि भी तैयार किए जाएंगे। सरकार का प्रयास होगा कि गुणवत्ता भी अच्छी हो और कीमत भी सस्ती हो और इससे जुड़े लोगों को रोजगार मिले। राज्य सरकार की मंशा है कि हर हाथ में खादी के सामान उपलब्ध हों।
सरकार की मंशा है कि खादी सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित न रहे। खादी के कपड़ों के जरिए जूते, बैग, फैंसी पर्स आदि भी तैयार किए जाएं। रही बात खादी के कपड़ों को आकर्षक लुक देकर इनकी खूबसूरती निखारने की, तो इस काम में योगी सरकार देश के नामचीन फैशन डिजाइनरों और इससे संबंधित (निफ्ट) संस्थाओं की मदद लेगी। इसके लिए सूत की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए खादी उत्पादन केंद्रों की तकनीक को आधुनिक बनाएगी। बड़े पैमाने पर सोलर चरखों का भी वितरण करेगी। जिनको ये चरखे दिए जाएंगे उनको इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। कुल मिलाकर अगले पांच साल में विभाग ने 5000 सोलर चरखों के वितरण का लक्ष्य रखा है। इससे धागों की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही उत्पादन भी बढ़ जाएगा।
मालूम हो कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में खादी के 14 सरकारी केंद्र हैं। इन केंद्रों के पुराने लूम की जगह नए सोलर लूम लगाए जाएंगे। सरकार ने इस बाबत अगले पांच साल के लिए मुकम्मल कार्य योजना भी तैयार की है। पिछले दिनों अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्ययोजना को देखा और जरूरी निर्देश भी दिए। कार्ययोजना के मुताबिक पंडित दीनदयाल खादी विपणन विकास सहायता योजना (एमडीए) के तहत अगले पांच वर्षों में 25 हजार कत्तीनों एवं बुनकरों को लाभान्वित किया जाएगा। उम्मीद है कि सरकार के इन प्रयासों से खादी की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ाने के लिए खादी को फैशन के अनुरूप बनाने, रेंज बढ़ाने के साथ सरकार मार्केटिंग पर भी जोर देगी। इस क्रम में खादी एवं ग्रामोद्योग के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ा जाएगा।
अपर मुख्य सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल का कहना है कि खादी एवं ग्रामोद्योग संभावनाओं का क्षेत्र है। इकोफ्रेंडली होने के साथ न्यूनतम संरचना, कम पूंजी और कम जोखिम में इससे जुड़े उद्योग को लगाया जा सकता है। पूंजी के अनुपात में स्थानीय स्तर पर यह सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है। सूत बनाने का काम अधिकांश महिलाएं करती हैं। लिहाजा उनको स्वावलंबी बनाकर यह मिशन शक्ति में भी मददगार है।
(आईएएनएस)