खाद्य मंत्री श्री सिंह ने की निर्धनों के कल्याण से संबंधित योजनाओं की समीक्षा!

खाद्य मंत्री श्री सिंह ने की निर्धनों के कल्याण से संबंधित योजनाओं की समीक्षा!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-23 10:06 GMT
खाद्य मंत्री श्री सिंह ने की निर्धनों के कल्याण से संबंधित योजनाओं की समीक्षा!

डिजिटल डेस्क | नरसिंहपुर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री बिसाहूलाल सिंह ने अंतर्विभागीय (गरीब कल्याण) मंत्री-समूह के अंतर्गत निर्धनों के कल्याण से संबंधित विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में महिला-बाल विकास, पर्यटन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग, रेशम पालन, तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा निर्धनों के कल्याण के लिये विभागीय योजनाओं की बिन्दुवार जानकारी दी। मछुआ कल्याण एवं क्रेडिट कार्ड योजना मंत्री श्री सिंह ने कहा कि कोयला खदानों से कोयला निकलने के बाद पानी भरे गड्ढों में मछली-पालन किया जाये। इसके लिये स्थानीय लोगों की समिति बनाकर महिलाओं को मछली-पालन का काम सौंपा जाये।

बैठक में बताया गया कि मार्च माह में 2.40 लाख टन के विरुद्ध 2.48 लाख टन यानि 100 प्रतिशत से अधिक मत्स्य उत्पादन किया गया। मंत्री श्री तुलसी सिलावट ने कहा कि मछुआ भाइयों को अधिक से अधिक क्रेडिट कार्ड वितरित कर उन्हें आत्म-निर्भर बनाया जाये। उन्होंने कहा कि इस योजना के प्रारंभ में अभी तक 78 हजार 628 मछुआरों को मछुआ क्रेडिट कार्ड वितरित किये गये हैं। इसके अलावा 11 हजार 883 किसान क्रेडिट कार्ड भी प्रदान किये गये। पी.एम. मत्स्य सम्पदा योजना बैठक में बताया गया कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से पंचवर्षीय प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना लागू की गई। इसमें केन्द्र एवं राज्य शासन द्वारा 20 हजार 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाना है, जिससे मत्स्य पालकों की आय दोगुनी हो सकेगी। किसान क्रेडिट कार्ड योजना मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने की दृष्टि से किसान क्रेडिट कार्ड योजना में मछली पालन को भी शामिल किया गया है।

इसमें मत्स्य उत्पादन, मत्स्य बीज संवर्धन, पंगेशियस पालन, केज कल्चर, सिंचाई तालाबों को पट्टा, नाव, जाल क्रय के लिये, आरएएस एवं बॉयोफलाक योजना के तहत 41.77 लाख प्रतिवर्ष आवर्ती व्यय किया गया। लाड़ली लक्ष्मी योजना महिला-बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री अशोक शाह ने बताया कि 100 प्रतिशत राज्य पोषित लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य बालिका के जन्म के प्रति सकारात्मक सोच, बाल विवाह में कमी एवं बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार एवं शत-प्रतिशत स्कूल में प्रवेश दिलाना है। इसके तहत कक्षा-6वीं में 2000, कक्षा-9वीं में 4 हजार तथा कक्षा-11वीं एवं 12वीं में 6000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत 136 करोड़ की राशि छात्रवृत्ति के रूप में वितरित की गई।

खाद्य मंत्री श्री सिंह ने कहा कि आँगनवाड़ी योजना विभाग की मुख्य योजनाओं में से एक है और आँगनवाड़ियाँ बहुत अच्छा काम भी कर रही हैं। जहाँ आँगनवाड़ियों के लिये भवन नहीं हैं, वहाँ भवन के लिये प्रस्ताव तैयार करें। इसके अंतर्गत 6 वर्ष से कम बच्चों, गर्भवती माताओं को पूरक पोषण आहार, स्वास्थ्य की जाँच, संदर्भ सेवाएँ, टीकाकरण, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा तथा शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा के साथ कैलोरी युक्त भोजन एवं नाश्ते का प्रावधान भी रखा गया है। पी.एम. मातृ वंदना योजना पी.एम. मातृ वंदना योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू की गई है। इसके अंतर्गत गर्भवती माताओं को कुल 5 हजार रुपये की राशि 3 किस्तों में प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत अभी तक 23 लाख 58 हजार 731 हितग्राहियों को 995.08 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। देश में इस योजना को लागू करने में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है।

इसके अलावा शौर्या दल, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन-181, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना, कामकाजी महिला वसंती गृह, स्वाधार गृह जैसी अनेक योजनाएँ महिलाओं एवं बेटियों के हित में चलाई जा रही हैं। होम स्टे में निर्धनों को मिले भागीदारी प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में निर्धनों एवं गरीब तथा आरक्षित वर्ग की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से होम स्टे जैसी योजनाओं में उन्हें भागीदारी दी जाये। पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों को पर्यटन के होटल्स में रोजगार दिये जाने के प्रयास करें। स्थानीय युवाओं को गाइड एवं वेटर के कार्य का प्रशिक्षण दिया जाये, जिससे वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। पर्यटन स्थलों पर युवाओं को चाय-नाश्ते की दुकानें खोलने की अनुमति प्रदान करें। रेशम एवं कुटीर के क्षेत्र में दें युवाओं को रोजगार आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के तहत प्रदेश के युवाओं को रेशम एवं टसर के काम से जोड़ने के लिये उन्हें रेशम उत्पादन का प्रशिक्षण दें।

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