आत्महत्या करने वाली, तलाकशुदा महिला से की मां सीता की तुलना, कारसेवकों के सामने शिवराज के मंत्री के बिगड़े बोल, गलती समझ में आई तो मीडिया पर मढ़ा आरोप

सीता मां पर बिगड़े बोल आत्महत्या करने वाली, तलाकशुदा महिला से की मां सीता की तुलना, कारसेवकों के सामने शिवराज के मंत्री के बिगड़े बोल, गलती समझ में आई तो मीडिया पर मढ़ा आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-19 08:13 GMT
आत्महत्या करने वाली, तलाकशुदा महिला से की मां सीता की तुलना, कारसेवकों के सामने शिवराज के मंत्री के बिगड़े बोल, गलती समझ में आई तो मीडिया पर मढ़ा आरोप

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने माता सीता की तुलना तलाकशुदा महिला से कर दी। मोहन यादव ने यह बयान उज्जैन के नागदा में कारसेवक सम्मान समारोह के दौरान दिया। उन्होंने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि, मर्यादा के कारण राम को सीता को छोड़ना पड़ा। इसके बाद सीता जी ने जंगल में बच्चों को जन्म दिया। कई तरह के दुख झेलकर भी राम की मंगलकामना करती रहीं। आज के समय में ये जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है। मोहन यादव का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उनकी चारों ओर आलोचना की जा रही है। जिसके बाद मंत्री ने अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि मेरे बयान को गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है, जिससे मेरी छवि खराब की जा सके।  

माता सीता का जीवन तलाकशुदा महिला के जैसा

कारसेवकों के सम्मान में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए मंत्री मोहन यादव ने अपने संबोधन में भगवान शिव से लेकर, भगवान श्रीराम और माता सीता के आदर्शों के बारे में बात की। उन्होंने कहा, "शिव ने कष्टों को विष के जैसे सेवन कर सबको अमृत रूपी जीवन दिया। इसी तरह भगवान श्रीराम का जीवन कदम-कदम पर रावण से महायुद्ध के बाद तक भी कितनी विनम्रता रही पिता, पति और पुत्र के रूप में। बाल्यकाल मे हमने देखा विश्वामित्र उन्हें लेकर गए। जहां उन्होंने ऋषि मुनियों को आतंक से छुड़ाने का काम, जंगल में महाराज जनक की बेटी से विवाह के लिए बात हो, एक ऐसा राजा जिसके जंगल मे ही बच्चे पैदा हुए हो, उनके अपने पिता से मिलने के लिए फिर कहानी सुनानी पड़े, बड़े-बड़े साहित्यकार भी इस बात को लिख कर बताते हैं कि रामराज्य लाने की कल्पना जो हमने की है उनके जीवन के यथार्थ को हम देखेंगे।"

उन्होंने आगे कहा,  "सरल भाषा में कहा जाए तो जिस सीता माता को वह इतना बड़ा युद्ध करके लाए, उन्हें गर्भवती होने पर भी राज्य की मर्यादा के कारण छोड़ना पड़ा। उस सीता माता के बच्चों को जंगल में जन्म लेना पड़े, वह माता इतने कष्ट के बावजूद भी पति के प्रति कितनी श्रद्धा करती है कि वह कष्टों को भूल कर भगवान राम के जीवन की मंगल कामना करती है। भगवान राम के गुणों को बताने के लिए उन्होंने बच्चों को भी संस्कार दिए। आमतौर पर आज का समय हो, तो यह तलाक के बाद का जीवन समझ लो आप। किसी को घर से निकाला दे दो, तो ये और क्या है। ऐसे कष्ट के बाद भी संस्कार कितने अच्छे कि लव-कुश ने राम को दोबारा रामायण याद दिलाई।"

शरीर छोड़ने को आत्महत्या माना जाए

मोहन यादव ने आगे कहा कि, अच्छी भाषा में कहा जाए, तो पृथ्वी फट गई, तो माता उसमें समा गई। सरल और सरकारी भाषा में कहा जाए, तो उनकी पत्नी ने उनके सामने शरीर छोड़ा। शरीर छोड़ने को आत्महत्या के रूप में माना जाता है। उन्होंने रामराज्य के बारे में कहा, इतने कष्ट के बावजूद भगवान राम ने जीवन कैसे बिताया होगा, जिस सीता के बिना एक क्षण भी कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन उसके बावजूद भी भगवान राम ने राम राज्य के बारे में अपना जीवन दिया। आगे बढ़ेंगे तो उनके सामने ही भगवान लक्ष्मण ने भी प्राण त्यागे, फिर भी रामराज्य चलता रहा।

विवाद बढ़ने पर दी सफाई

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उच्च शिक्षा मंत्री ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि कार्यक्रम कारसेवकों को उनके त्याग और बलिदान को याद करने के लिए आयोजित किया गया था। इसी वजह से मैंने भगवान राम और सीता माता के जीवन से जुड़ी बातें कहीं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है। मेरा बात कहने का तात्पर्य कुछ और था। मेरी छवि को धूमिल करने के लिए कुछ लोग वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।

 


 

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