डीजीपी ने पुलिसकर्मियों को रात में संदिग्धों को हिरासत में नहीं लेने का निर्देश दिया
तमिलनाडु डीजीपी ने पुलिसकर्मियों को रात में संदिग्धों को हिरासत में नहीं लेने का निर्देश दिया
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। पुलिस हिरासत में दो संदिग्धों की लगातार मौत के मामले में घिरी तमिलनाडु पुलिस ने अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए एक नया कदम उठाया है।
पुलिस महानिदेशक सी. सिलेंद्र कुमार ने पुलिस कर्मियों को रात में किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लेने का निर्देश दिया है।
विग्नेश को पुलिस ने 18 अप्रैल की रात एक अन्य व्यक्ति सुरेश के साथ एक हथियार और आधा किलो गांजा रखने के आरोप में हिरासत में लिया था। पुलिस के मुताबिक 19 अप्रैल की सुबह जब पुलिस उसे नाश्ता देने गई तब विग्नेश को दिल का दौरा पड़ा और बाद में अस्पताल पहुंचने पर उसकी मौत हो गई।
व्यक्ति की मौत के बाद अफवाह यह फैला थी कि आरोपियों को पुलिस थाने में प्रताड़ित किया गया था, जिससे उनकी मौत हो गई। विग्नेश के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस कर्मियों ने उन्हें चुप रहने के लिए 1 लाख रुपये का भुगतान किया था, लेकिन बाद में उन्होंने पैसे वापस कर दिए और जांच में सहयोग कर रहे हैं। इस घटना पर मुख्यमंत्री को खुद राज्य विधानसभा में जवाब देना पड़ा था।
चेन्नई पुलिस आयुक्त के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि ग्रेटर चेन्नई पुलिस कंट्रोल रूम के सब इंस्पेक्टर पुजम पेरुमल, कांस्टेबल पोनराज और होमगार्ड दीपक को निलंबित किया गया है।
इसी तरह पूर्व में हुई घटना में एक व्यक्ति थंगमणि (43) को तमिलनाडु पुलिस के निषेध प्रवर्तन विंग (पीईडब्ल्यू) ने 26 अप्रैल को इस आरोप में हिरासत में लिया था कि उनके पास अवैध शराब थी और वह अवैध रूप से शराब बेचता था। पुलिस के अनुसार, उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था लेकिन उसे वहां दिल का दौरा पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
परिवार ने आरोप लगाया कि थंगमणि को पुलिस ने प्रताड़ित किया था। जांच पर पुलिस उपाधीक्षक राजन, निरीक्षक निर्मला, कांस्टेबल जयचंद्रन और जयकुमार सहित पीईडब्ल्यू के चार कर्मियों को निलंबित किया गया था।
मुख्यमंत्री द्वारा राज्य विधानसभा में घोषणा किए जाने के बाद कि दो मौतों की विस्तृत जांच की जाएगी, तमिलनाडु पुलिस की सीबी-सीआईडी ने दो घटनाओं की जांच शुरू कर दी है।
विपक्षी अन्नाद्रमुक और भाजपा के साथ विधानसभा में भारी हंगामा हुआ और दोषी पुलिस अधिकारियों की तत्काल जांच और गिरफ्तारी की मांग की गई और मुख्यमंत्री स्टालिन से जवाब मांगा, जो गृह विभाग के प्रभारी भी हैं। हिरासत में प्रताड़ना को लेकर विधायकों ने डीजीपी से जवाब भी मांगा है।
विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बाद डीजीपी सी. सिलेंद्र कुमार ने पुलिस को थाने में रात में संदिग्धों को हिरासत में नहीं लेने का निर्देश दिया है।
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