वेतन संशोधन को लेकर शिक्षकों का प्रदर्शन जारी
आंध्र प्रदेश वेतन संशोधन को लेकर शिक्षकों का प्रदर्शन जारी
डिजिटल डेस्क, अमरावती। आंध्र प्रदेश में सरकारी शिक्षकों ने राज्य सरकार और पीआरसी साधना समिति के बीच हुए समझौते को खारिज करते हुए वेतन संशोधन और अन्य मांगों को लेकर अपना विरोध जारी रखा है।
शनिवार को हुए समझौते के विरोध में विभिन्न शिक्षक संघों ने मंगलवार को पीआरसी साधना समिति की संचालन समिति से इस्तीफा दे दिया।
शिक्षक संघों के नेताओं ने स्पष्ट किया कि वे सरकार द्वारा दी जाने वाली रियायतों को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वेतन संशोधन की मुख्य मांग को संबोधित नहीं किया गया था।
राज्य शिक्षक संघ के अध्यक्ष जोसेफ सुधीर बाबू, यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन के महासचिव के.एस.एस. प्रसाद और आंध्र प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष हृदय राजू ने संचालन समिति से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि इसने सरकार के साथ बातचीत के दौरान एकतरफा कार्रवाई की।
उन्होंने घोषणा की है कि वे अपना विरोध जारी रखेंगे क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया है। यूनियनों ने कहा कि शिक्षक पांच दिवसीय चल रहे विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षक संघों ने विरोध तेज करने की धमकी दी है। उनकी भविष्य की कार्रवाई के लिए जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी।
सरकार के साथ एक समझौते के बाद, कर्मचारियों ने 7 फरवरी से हड़ताल पर जाने की अपनी योजना को रद्द कर दिया ।
जहां सरकार ने कर्मचारी संघों की कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया, वहीं यूनियनों ने कुछ मांगों पर अपना रुख नरम किया, जिससे एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकला।
सरकार ने वेतन संशोधन को 23 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की मांग को स्वीकार नहीं किया।
हालांकि, शिक्षक संघों ने समझौते का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पीआरसी साधना समिति 27 प्रतिशत वेतन संशोधन की उनकी मुख्य मांग को पूरा करने में विफल रही।
यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन (यूटीएफ) के नेता वेंकटेश्वरलू ने कहा कि शिक्षकों और सरकार के बीच बातचीत विफल रही।
वेंकटेश्वरलू ने कहा कि सरकार शिक्षकों को केवल 10 प्रतिशत एचआरए देने को तैयार है। उन्होंने मांग की कि सरकार कम से कम 12 फीसदी एचआरए का भुगतान करे या एचआरए की पुरानी व्यवस्था को जारी रखे।
यूटीएफ अध्यक्ष ने 27 प्रतिशत वेतन संशोधन की भी मांग की। उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांगों को उठाने का अवसर देना अलोकतांत्रिक है।
(आईएएनएस)