सरकारी स्कूलों की रैकिंग में दमोह जिले ने मारी बाजी, इंदौर 8वें तो राजधानी भोपाल 19वें स्थान पर
किसी भी जिले को नहीं मिला A+ग्रेड सरकारी स्कूलों की रैकिंग में दमोह जिले ने मारी बाजी, इंदौर 8वें तो राजधानी भोपाल 19वें स्थान पर
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने एजुकेशन के स्तर में सुधार लाने के लिए एक नया काम किया है। प्रदेश में पहली बार सरकारी स्कूलों की रैकिंग जारी की गई है। जारी रिपोर्ट में भोपाल और इन्दौर जैसे विकसित जिलों को पछाड़ कर दमोह जिले ने अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। इस रैकिंग में शिक्षकों की स्कूलों में संख्या,ट्रेनिंग प्रोग्राम एवं स्कूलों की सरंचना साथ ही पात्र छात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है कि नहीं इन सभी प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया था।
प्रदेश के सभी जिले रैकिंग में शामिल
इस रैकिंग में प्रदेश के सभी 52 जिलों को सम्मिलित किया गया था। इस रिपोर्ट में भोपाल टॉप 10 की सूची से बाहर रहा वहीं इंदौर ने अपने सुधार कार्यों के चलते इस बार टॉप 10 में जगह बनाई। इस बार इंदौर को 8 वें स्थान पर तो वहीं भोपाल 19 वें स्थान पर रहा वहीं दमोह ने 83.2 नंबर प्राप्त कर प्रथम स्थान हासिल किया। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों में जारी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की पृष्टभूमि क्या है? इसको लेकर जिलों की समीक्षा की गई और ग्रेडिंग सिस्टम जैसे A, A+ से जिलों की रिपोर्ट जारी की गई ।
इन अधारों पर जारी की ग्रेडिंग
1 सीएम हेल्पलाईन की शिकायतों का निपटारा 20 अंक
2 व्यापारिक शिक्षा नामाकंन 10 अंक
3 ट्रेनिंग प्रोग्राम 10 अंक
4 विद्यालय में टैबलेटों की उपलब्धता 10 अंक
5 ब्रिजकोर्स करने वालो की संख्या 10 अंक
6 स्कूलों में दर्ज नामांकन और ठहराव की स्थिति 20 अकं
इन बिंदुओं के अलावा अब अगली तिमाही में विद्यालय के लेवल पर आईसीटी यानी स्कूलों में संचार और टॉक्नोलॉजी की शिक्षा की क्या स्थिति है ? साथ ही छ:माही परीक्षा परिणाम, शिक्षा से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी की व्यवस्था और वित्तीय खर्च को भी ग्रेडिंग में शामिल किया जाएगा। इस प्रकार से समग्र शिक्षा योजना के तहत जारी कार्यक्रमों एवं छात्रों की सीखने की योग्यता, टीचरों की पढ़ाने की क्षमता, विद्यालयों में मौजूद सुविधाओं की स्थिति इन सभी बिंदुओं के आधार पर ही यह रैकिंग तैयार की गई है।
यह रही मार्किंग व्यवस्था
- उत्कृष्ट (A+) 90-100 इस नंबर को छूने वालो जिलों को उत्कृष्ट की श्रेणी में शामिल किया जाता है। फिलहाल इस श्रेणी में कोई जिला नहीं आया है।
- अच्छा (A) 75-89.99 इस श्रेणी में दमोह, सिंगरौली, नरसिंहपुर, सागर , छिदंवाड़ा ,पन्ना, मंदसौर , इंदौर, देवास, नीमच, नर्मदापुरम, रायसेन , सीहोर, सिवनी, बैतूल, छतरपुर, ग्वालियर, शाजापुर और भोपाल जिले शामिल है।
- संतोषजनक (B) 60-74.99 इस श्रेणी में टीकमगढ़ , बालाघाट, राजगढ़, सतना, शहडोल, विदिशा, अनूपपुर, उमरिया, आगर मालवा, जबलपुर, गुना, रतलाम, अलीराजपुर, कटनी, डिंडोरी, उज्जैन, खंडवा, सीधी, हरदा, अशोकनगर , दतिया , धार, रीवा, मंडला, शिवपुरी, मुरैना, भिंड, श्योपुर, निवाड़ी, बड़वानी और झाबुआ।
- एवरेज (C)50-59.99 - इस श्रेणी में केवल खरगौन जिले का नाम शामिल है।
- खराब (D) 0-49.99
बता दें इस रिपोर्ट में कोई भी जिला A+ की श्रेणी में नहीं आ सका है। जिसकी मुख्य वजह यह रही की प्रदेश का कोई भी जिला 90 या उससे अधिक अंक हासिल नहीं कर पाया। इसके अलावा रिपोर्ट में किसी भी जिले को खराब यानी D ग्रेड की श्रेणी शामिल नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री के आदेश पर इस साल प्रारंभ हुई रैकिंग
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सरकारी स्कूलों की रैकिंग और उनकी कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए थे। बता दें इसके बाद ही राज्य शिक्षा केंद्र ने रैकिंग रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में प्रदेश के सभी जिलों के डीएम से सुझाव और आपत्तियां मांगी गई थी। प्राप्त सुझावों से रिपार्ट में कुछ बदलाव भी किए थे फिर रिपोर्ट में रैकिंग तय करके इसे सीएम डैशबोर्ड पर प्रदर्शित किया गया।