संस्कृति के जतन में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण : डा. नासरी
गड़चिररोली संस्कृति के जतन में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण : डा. नासरी
डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली। महिलाओं की कृति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है। भारत कृषिप्रधान देश है। ग्रामीण क्षेत्र में अपने देश को जो स्थान मिला है। जो संस्कृति है, वह देश के विभिन्न प्रदेश में हमें देखने को मिलती है। प्रत्येक प्रदेश में स्वयं की संस्कृति का जतन किया जा रहा है और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। महिला स्वयं सक्षम होकर दूसरों को सक्षम करती है। ऐसा प्रतिपादन महिला महावद्यालय नागपुर की डा. संपदा नासरी ने किया।
देहरादून के अंतरराष्ट्रीय परिषद के मद्देनजर गोंडवाना यूनिवर्सिटी में पूर्व परिषद ली जा रही है। गोंडवाना यूनिवर्सिटी व एसएनडीटी विद्यापीठ मुंबई, संवर्धिनी न्यास नई दिल्ली साथ मिलकर आयोजन किया जा रहा है। वहीं गुणवत्ता गारंटी कक्ष विभाग द्वारा सामाजिक समस्या संदर्भ में जागरुकता व संवदेनशीलता निर्माण करने के लिए भारतीय स्त्री एक वास्तव दृष्टिकोण इस अंतरराष्ट्रीय परिषद के पूर्व परिषद का आयोजन गोंडवाना यूनिवर्सिटी के सभागृह में किया गया। इस समय मंच पर यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. प्रशांत बोकारे, प्र-कुलगुरु डा. श्रीराम कावले, कुलसचिव डा. अनिल चिताड़े, केवलरामाणी महाविद्यालय नागपुर के डा. माधवी मोहरील, शुभदा देशमुख और पूर्व परिषद की समन्वयक मीरा देसाई ऑनलाइन उपस्थित थे। प्रास्ताविक डा. धनराज पाटील ने रखा। संचालन डा. रजनी वाढई ने किया। आभार डा. रश्मी बंड ने माना।