कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह का 86 की उम्र में निधन, नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे
कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह का 86 की उम्र में निधन, नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे
डिजिटल डेस्क (भोपाल)। पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता बूटा सिंह (86) का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 8 बार लोकसभा सांसद रहे और नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंदों में से एक थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘बूटा सिंह जी एक अनुभवी प्रशासक थे। गरीबों के कल्याण के लिए उन्होंने मजबूती से आवाज उठाई। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और समर्थकों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।’
कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने लिखा कि "सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं।"।
सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2021
उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा।
इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।
उल्लेखनीय है कि 21 मार्च, 1934 को पंजाब के जालंधर के मुस्तफापुर गांव में जन्मे बूटा सिंह ने गृह, कृषि, रेल, खेल मंत्री और अन्य कार्यभार के अलावा बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला। 1977 में जनता पार्टी की लहर के चलते कांग्रेस बुरी तरह से हार गई थी। इसके बाद पार्टी विभाजित भी हो गई थी। तब बूटा सिंह ने इंदिरा गांधी की अगुआई वाली कांग्रेस के इकलौते राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कड़ी मेहनत के बाद पार्टी को 1980 में फिर से सत्ता में लाने के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी। बूटा के परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी हैं।
बूटा सिंह ने अपना पहला चुनाव अकाली दल के सदस्य के रूप में लड़ा और 1960 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। वह पहली बार 1962 में साधना निर्वाचन क्षेत्र से तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए थे।