ग्लेशियर झीलों में हो रहे बदलाव ला सकते हैं उत्तराखंड में बड़ी तबाही? देश के बड़े संस्थानों ने अध्ययन के बाद दिया संकेत

उत्तराखंड ग्लेशियर झीलों में हो रहे बदलाव ला सकते हैं उत्तराखंड में बड़ी तबाही? देश के बड़े संस्थानों ने अध्ययन के बाद दिया संकेत

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-18 12:54 GMT
ग्लेशियर झीलों में हो रहे बदलाव ला सकते हैं उत्तराखंड में बड़ी तबाही? देश के बड़े संस्थानों ने अध्ययन के बाद दिया संकेत

डिजिटल डेस्क, देहरादून। ISRO सहित कई सस्थानों ने अपने अध्ययन में जो खुलासा किया है वह हैरान करने वाला है। दरअसल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था के  साथ-साथ अन्य संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने  उत्तराखंड की तकरीबन 1300 ग्लेशियर (हिमनद) को झीलों में बदलने का दावा किया हैं।  देश की कई बड़ी संस्थाओं के वैज्ञानिकों  के अध्ययन के अनुसार अकेले चमोली जिले में 41% झीलें 5 से 6 हजार मीटर ऊंचाई पर स्थित हैं। आइए जानते है वह कौन से ऐसे ग्लेशियर है जो फटे तो भंयकर तबाही मचा सकते हैं।

सुप्रा ग्लेशियर फटा तो मचेगी भयंकर तबाही 
शोधकर्ताओं ने अपने शोध के दौरान किए अध्ययन में खुलासा किया  है कि 4600 मीटर से ऊपर स्थित कई ग्लेशियल झीलों के आकार में दिनों दिन बदलाव होते हुए दिखाई दे रहा है। चिंता की बात यह  है कि तापमान बढ़ने या प्रकृति में किसी भी तरह के बदलाव होने से सुप्रा ग्लेशियर झील फटी तो उत्तराखंड में भीषण तबाही मच सकती है। 
बता दें 4600 मीटर से  अधिक ऊपर स्थित नदी नालों से असंबध्द झीलों को ही सुप्रा झील कहते हैं। 

 
ग्लेशियरों में निरंतर हो रहे बदलाव चिंता का विषय

राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने अपने हिमनद और  झीलों के ऊपर किए गए अपने अध्ययन के बाद बताया कि उत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों में निरंतर हो रहे परिवर्तन  गंभीर समस्या का विषय बन सकते हैं।

1200 से भी ज्यादा ग्लेशियर को किया चिंन्हित 

इसरो और अन्य संस्थान के वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में 1200 से 1300 ग्लेशियर झीलें चिंन्हित किया है। जो कभी भी उत्तराखंड में  खतरे का संकेत दे सकती हैं। 
 

41 फिसदी से अधिक ग्लेशियर अधिक ऊचांई पर

जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा, गढ़वाल विश्वविद्यालय,सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान, बेंगलुरू, पर्यावरण विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने अपने किए अध्ययन  में खुलासा किया  कि उत्तराखंड में स्थित लगभग 41 फीसदी हिमनद  झीलें करीब पांच हजार से छह हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।

 
 

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