विद्यार्थियों के विकास में केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका : डा. थोरात
गोंडवाना विवि में शुरू हुआ अध्यासन केंद्र विद्यार्थियों के विकास में केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका : डा. थोरात
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। भारतरत्न डा. बाबासाहब आंबेडकर के विचार सामाजिक, धार्मिक और नैतिक तत्व पर आधारित है। शोषित उनके विचारों का केंद्रबिन्दू है। निराश व्यक्तियों को बल देने के साथ शोषितों को जकड़न से मुक्त करना ही उनके विचारों का मूल आधार है। डा. आंबेडकर के विचारों का प्रसार करने के लिए गोंडवाना विश्व विद्यालय द्वारा आरंभ किया गया डा. बाबासाहब आंबेडकर अध्यासन केंद्र विद्यार्थियों के विकास में यकीनन लाभदायी साबित होगा। यह विश्वास विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष व प्रसिद्ध अर्थशास्त्रज्ञ डा. सुखदेव थोरात ने जताया। मंगलवार को डा. थोरात के हाथों गोंडवाना विवि में डा. बाबासाहब आंबेडकर अध्यासन केंद्र का शुभारंभ किया गया। इस समय वे बोल रहे थे। इस समय कार्यक्रम की अध्यक्षता विवि कुलपति डा. प्रशांत बोकारे ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में विवि के प्र-कुलपति डा. श्रीराम कावले, कुल सचिव डा. अनिल हिरेखन आदि उपस्थित थे। अपने संबोधन में कुलपति डा. बोकारे ने बताया कि, डा. बाबासाहब आंबेडकर के विचार और उनका आचरण समझने, उनका मूल्यमापन और प्रसार करना, बुद्धिजीवी व्यक्तियों और विद्यार्थियों के लिए विचार केंद्र निर्माण करने के मुख्य उद्देश्य को लेकर यह अध्यासन केंद्र शुरू किया गया है। इस अध्यासन केंद्र के लिए निधि की कमी नहीं होगी। इस केंद्र में डा. बाबासाहब आंबेडकर की ग्रंथसंपदा समेत उनके जीवन पर आधारित अनेक पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराए गए हैं। इस केंद्र की मदद से विद्यार्थी संशोधन भी कर पाएंगे। कार्यक्रम की प्रस्तावना फुले-आंबेडकर महाविद्यालय के प्रा. डा. दिलीप बारसागडे ने रखी। संचालन शिल्पा आठवले ने किया तथा उपस्थितों का आभार कुलसचिव डा. हिरेखन ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में गड़चिरोली के वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर, पत्रकार रोहीदास राऊत, जयंत निमगडे आदि उपस्थित थे। सफलतार्थ अध्यासन केंद्र की प्रमुख डा. प्रीति काले, प्रा. डा. दिलीप बारसागडे, डा. नंदकिशोर मने, डा. विनायक शिंदे, डा. उत्तमचंद कांबले, डा. प्रिया गेडाम आदि ने परिश्रम किया।