बक्सवाहा बस एक बहाना है, उद्देश्य तो उपभोग घटाना है!

बक्सवाहा बस एक बहाना है, उद्देश्य तो उपभोग घटाना है!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-05 09:12 GMT
बक्सवाहा बस एक बहाना है, उद्देश्य तो उपभोग घटाना है!

डिजिटल डेस्क | खरगौन पर्यावरण दिवस 05 जून 2021 को आस्थाग्राम द्वारा आयोजित कार्यक्रम हेतु अखबार कार्यालयों को प्रेषित प्रेस विज्ञप्ति 1⁄2 बहुत तसल्ली का विषय है कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व लोगों को कुछ अधिक ही समझ आ रहा है। इस कोरोना महामारी ने हमें कई सबक दिए, सोचने समझने के लिये दृष्टिकोण दिए और सभी लोग इन मुद्दोंद पर कुछ करना चाह रहे हैं, अपने-अपने स्तर पर कर भी रहे हैं। इसी बीच इन दिनों मध्यप्रदेश के छतरपुर में बक्सवाहा नामक जगह पर हीरे की खदान के लिए लाखों पेड़ों को काटे जाने की खबर भी चर्चा में है। कई संस्थाएं और व्यक्ति हीरे की खदान के लिए पेड़ काटने के विरोध हेतु आगे आए हैं।

खरगोन शहर की स्वयंसेवी संस्था आस्थाग्राम ट्रस्ट 05 जुन को अपने फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल पर एक शपथ अभियान ऑनलाइन आरंभ कर रही है। इस अजीब सी या अनूठी पर्यावरण संरक्षण शपथ की जानकारी देते हुए संस्था की प्रबंध ट्रस्टी डॉ. मेजर अनुराधा ने बताया कि असली हीरे का सबसे अधिक उपयोग आभूषणों मे होता है और थोड़ा कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में। तो सवाल यह खड़ा हुआ कि हीरे के आभूषणों के लिए क्या प्राणवायु देने वाले पेड़ो को काटा जाना चाहिए? कोरोना वायरस ने ऑक्सीजन और ऑक्सीजन के लिए पेड़ों के महत्व को 01 साल में इतने अच्छे से समझा दिया जितना हम अपनी उम्र के 50-60 सालों में भी नहीं समझ पाए थे।

तो इस प्रश्न का उत्तर तो आम सहमति से जोर से कहा गया नहीं होगा। इसलिये यदि आभूषणों के लिए हीरे की मांग कम हो जाए तो शायद आधी या उससे भी कम खदान खोदने से काम चल जाए, थोड़ा सा जंगल ही नष्ट हो, बहुत कम पेड़ काटने पड़े। तो कैसा रहे यदि हम शपथ लें कि आज के बाद हम खदान से निकाला जाने वाला असली हीरा नहीं खरीदेंगे। आखिर हमें हार के हीरे चाहिए या परिवार के हीरे। 05 जून को शाम 4:30 बजे पर्यावरण संरक्षण शपथ अभियान ‘जीवन हीरे से या पेड़ से‘ के ऑनलाइन शुभारंभ कार्यक्रम में खदानों के दुष्परिणाम विषय पर जाने-माने भूवैज्ञानिक और भारत सरकार पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के राष्ट्रीय अधिकारी श्री सुधींद्र मोहन शर्मा का व्याख्यान आयोजित है। साथ ही हीरा नहीं खरीदने की शपथ कैसे ऑनलाइन भरकर, ऑनलाइन सबमिट कर सकते हैं यह जानकारी भी दी जाएगी।

संस्था के सह सचिव संतोष पाटीदार ने बताया कि यह अभियान 10 दिनों तक चलेगा और उसके बाद किस संस्था और किस शहर से कितने पर्यावरण सचेत व्यक्तियों ने शपथ ली यह घोषणा भी सोशल मीडिया पर की जाएगी। 10 दिनों तक सोशल मीडिया पर चलने वाले पोस्टर द्वारा प्रचार अभियान का हिस्सा अगर कोई बनना चाहता है तो वह अपनी संस्था का नाम 9425087343 पर व्हाट्सएप करें।

वह नाम पोस्टर पर सहयोगी संस्था के रूप में डाला जाएगा। संस्था सचिव नरेन्द्र गांधी ने जानकारी दी कि शपथ अभियान ‘जीवन हीरे से या पेड़ से‘ के ऑनलाइन शुभारंभ कार्यक्रम में अतिथि के रूप में सोलर गांधी के नाम से विख्यात डॉक्टर चेतन सिंह सोलंकी, प्राध्यापक आईआईटी, मुंबई और संस्थापक एनर्जी स्वराज फाउंडेशन तथा डॉ. पुष्पा पटेल, पूर्व प्राध्यापक वनस्पति शास्त्र, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरगोन, साहित्यकार एवं पर्यावरणविद भी कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़ेंगे। सचिव नरेंद्र गांधी ने अपील की है कि अधिक से अधिक लोग इस अभियान से जुड़े और उपभोग कम करने की शपथ भरें।

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