आजमगढ़ में हार कर भी जीत का अहसास कर रही बसपा
उत्तरप्रदेश आजमगढ़ में हार कर भी जीत का अहसास कर रही बसपा
- आजमगढ़ में हार कर भी जीत का अहसास कर रही बसपा
डिजिटल डेस्क,लखनऊ। आजमगढ़ में अभी हाल में हुए लोकसभा के उपचुनाव में बसपा भले तीसरे पायदान पर रही हो, लेकिन उसको जिस प्रकार वोट का प्रतिशत मिला है। पार्टी सुप्रीमों सहित सभी नेता काफी खुश नजर आ रहे हैं।सपा का गढ़ माने जाने वाली आजमगढ़ सीट पर भाजपा ने कमल खिलाया है। यहां सपा दूसरे और तीसरे नम्बर पर बसपा रही है। बसपा ने संकेत दिया है कि 2024 में दलित मुस्लिम गठजोड़ बनाकर मैदान में जुटेगी। क्योंकि उपचुनाव का परिणाम मुस्लिम बसपा के पक्ष में गया है यह इशारा कर रहा है। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में सपा इस लोकसभा की सारे सीटें जीती थी। मुस्लिम वोट एक तरफा सपा के पाले में गया। जबकि इस उपचुनाव में अल्पसंख्यकों का मत बसपा के पाले में भी आया है। भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ को 34.39 प्रतिशत वोट मिला है। जबकि सपा को 33.44 तो वहीं बसपा को 29.27 फीसद वोट मिला है। यहां पर पिछड़ा अनुसूचित और मुस्मिल तीन वर्ग के वोटर ठीक ठाक है। बसपा को दलित मुस्लिम वोट अच्छी संख्या में मिला है।
बसपा के एक नेता ने बताया कि मायावती ने विधानसभा में हार मिलने के बाद ही मुस्लिमों को अपने पक्ष में लाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। उन्होंने चुनाव में मुस्लिम बूथों पर बड़े नेताओं की जिम्मेंदारी दी। इसके साथ ही परिणाम आते ही उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यकों का हित बसपा में ही किस प्रकार सुरक्षित और संरक्षित है। यही बात उन्हें समझ में आ गयी उन्होंने हमारे पक्ष में वोट भी किया है। दलित मुस्लिम का यह गठजोड़ 2024 में भी चलाए जाने की रणनीति बन रही है। इसके लिए पार्टी की ओर से बैठकों का दौर चल रहा है।
आजमगढ़ में तीसरे नम्बर में आने के बाद उत्साह देखने को मिला, पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि बीएसपी के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों तथा पार्टी प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव जिस संघर्ष व दिलेरी के साथ लड़ा है उसे आगे 2024 लोकसभा आमचुनाव तक जारी रखने के संकल्प के तहत चुनावी मुस्तैदी यथावत बनाये रखना भी जरूरी।
उन्होंने कहा कि सिर्फ आजमगढ़ ही नहीं बल्कि बसपाकी पूरे यूपी में 2024 लोकसभा आमचुनाव के लिए जमीनी तैयारी को वोट में बदलने हेतु भी संघर्ष व प्रयास लगातार जारी रखना है। इस क्रम में एक समुदाय विशेष को आगे होने वाले सभी चुनावों में गुमराह होने से बचाना भी बहुत जरूरी।
नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद ने कहा कि आजमगढ़ उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली जी ने जिस दम से चुनाव लड़ा उसकी वजह से बसपा को करीब 29 फीसद वोट मिला। बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगा दी और भाजपा के तमाम सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के बावजूद बसपा ने शानदार प्रदर्शन किया।
उन्होंने आगे कहा कि रामपुर में बसपा ने प्रत्याशी भी नहीं दिया, इसके बावजूद सपा भारी अंतर से हार गई, यदि आजमगढ में सपा प्रत्याशी नहीं उतारती तो बसपा एक लाख वोटों से भाजपा को हराती। अब जनता समझ चुकी है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को कोई पार्टी अगर चुनौती दे सकती है तो वो सिर्फ बसपा है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आमोदकांत कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट का रूख सपा की ओर था। यह मायावती के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ था। लेकिन उपचुनाव में बसपा भले तीसरे नम्बर पर हो, लेकिन नतीजों से राहत मिली है। आजमगढ़ में मुस्लिम यादव के वोट बैंक में सेंधमारी बसपा के लिए किसी बड़ी उम्मीद से कम नहीं है। हलांकि आजमगढ़ बसपा के इस प्रदर्शन को पार्टी का प्रदर्शन न मानकर प्रत्याशी का निजी पैठ का आकलन हो रहा है। क्षेत्र में उनका अपना जनाधार भी है। जनता के लिए हर समय सुख-दुख में खड़े रहते हैं उसका भी परिणाम है। बसपा को उपचुनाव में मिले वोट बैंक को संजोने के लिए और कारगर काम करना होगा।
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