सिमरिया में शोपीस बना बीएसएनल का टावर
मध्य प्रदेश सिमरिया में शोपीस बना बीएसएनल का टावर
डिजिटल डेस्क, सिमरिया। शासकीय संस्थाओं का निजीकरण कैसे होता है व बदहाली का शिकार कैसे होती है इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिमरिया में स्थित बीएसएनल का टावर है। जहां पर वर्षो पूर्व लाखों रुपए खर्च करके टावर संचालन करने हेतु मशीन लगाई गई थी साथ ही लाखों रुपए टावर को खड़ा करने में खर्च किए गए थे जिससे सिमरिया सहित समूचे क्षेत्र की जनता को सरकार की इस योजना का लाभ मिल सके परंतु आज स्थिति यह है लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी टावर की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। सिमरिया में पूरे दिन कभी भी टावर के सिग्नल नहीं रहते नेटवर्क सिग्नल विहीन रहता है। सिग्नल प्राप्त करने हेतु लोग बार-बार अपना फोन बंद या चालू करते हैं परंतु पूरे दिनभर टावर में सिग्नल नहीं आते। पूरे दिन नो नेटवर्क मोबाइल पर लिखकर आता है। जबकि स्थिति यह है कि सिमरिया में निजी कंपनियों एयरटेल, आइडिया, जिओ के सिग्नल पूरे समय मिलते हैं तथा नेटवर्क काम करता है उस पर बात होती है। वह सारे काम होते हैं परंतु बीएसएनल के सिग्नल पूरे दिन नहीं रहते हैं।
सिमरिया में निवास करने वाले अधिकारी कर्मचारी छात्र-छात्राएं जिन्होंने बीएसएनल का कनेक्शन ले रखा है या मोबाइल में सिम लगा रखी है। उनका कहना है कि बैंक खाता, आधार आदि के संचालन के लिए ओटीपी की आवश्यकता पड़ती है परंतु स्थिति यह है कि सिग्नल ना होने के कारण ओटीपी प्राप्त नहीं हो पाते तथा छोटे-छोटे कामों के लिए बार-बार परेशान होना पड़ता है। अधिकांश लोगों का कहना है कि स्थिति यही रही तो वह अपनी सिम को अन्य नेटवर्क से पोर्ट कराने वाले हैं क्योंकि अन्य नेटवर्क पूरे समय सेवा उपलब्ध कराती है जबकि बीएसएनल के टावर में सिग्नल ही नहीं आते यहां पर सोचने वाली बात यह है जब पूरे देश में ५जी नेटवर्क लॉन्च हो रहा है उस समय सिमरिया जैसे नगर में बीएसएनल के टावर पूरे समय सिग्नल नहीं रहते जो कि जिले के बीएसएनल में कार्य करने वाले कर्मचारियों की तथा पूरी तंत्र की नाकामी को प्रदर्शित करता है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सिमरिया में जो टावर दूरसंचार विभाग द्वारा लगाया गया है। वह पूरे समय चालू रहे लोगों को सुविधा मिल सके। जिससे सिमरिया सहित समूचे क्षेत्र के लोगों को इस राष्ट्रीय सेवा का लाभ बिना किसी व्यवधान के मिल सके।