ओबीसी आरक्षण में रोड़े अटका रही भाजपा

भुजबल ने कहा  ओबीसी आरक्षण में रोड़े अटका रही भाजपा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-26 11:34 GMT
 ओबीसी आरक्षण में रोड़े अटका रही भाजपा

डिजिटल डेस्क,यवतमाल।  ओबीसी आरक्षण की लड़ाई न्यायालय में चल रही है। दूसरी ओर भाजपा ओबीसी को आरक्षण मिलने में रोड़े अटका रही है। भाजपा के विकास गवली और उनके साथी आरक्षण  50 फीसदी से ज्यादा होने की बात पर न्यायालय पहुंचे हैं। जिसके चलते भाजपा की ओर से ओबीसी आरक्षण में बाधा निर्माण की जा रही है। भाजपा को ओबीसी के आरक्षण में राजनीति दिखाई दे रही है। इसलिए यह मामला कई वर्षों से अधर में अटका है। व्यवस्था में सभी को संख्या के अनुपात में आरक्षण मिले, यह बात ओबीसी के राष्ट्रीय नेता तथा महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने कही। वे यवतमाल के विश्रामगृह में शुक्रवार की दोपहर 12 बजे आयोजित पत्र-परिषद में बोल रहे थे। जब भी ओबीसी को आरक्षण देने की बात आती है तो भाजपा 50 फीसदी से अधिक आरक्षण न हो, संविधान का हवाला देकर न्यायालय में टांग अड़ाने पहुंच जाते हैं। दूसरी ओर ईडब्ल्यूएस के तहत 10 फीसदी आरक्षण मंजूर किया गया है।

ऐसे में अब कुल आरक्षण 60 फीसदी हो गया है। ऐसे में मराठा को 10 और धनगर को 5 फीसदी आरक्षण मिलता है तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। भाजपा के नेताओं में कथनी और करनी में अंतर है। इसलिए ओबीसी के आरक्षण का मामला न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने इम्पेरिकल डेटा लाने के लिए कहा। जिसके बाद यह बात अन्य राज्यों के लिए भी लागू की गई, लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से  यह  इंपेरिकल डेटा मांगने के बाद भी नहीं दिया। यह हकीकत है। जबकि यह डेटा 2016 में ही पीएम मोदी के पास था। क्योंकि इसी डेटा के आधार पर उज्वला योजना समेत अन्य योजनाएं क्रियान्वित की गई थी। ओबीसी को न्याय देने के लिए 2011 की जनगणना में ही जातिनिहाय जनगणना की मांग हम करते आए हैं। दूसरी जनगणना 2021 में होनी चाहिए थी। जो अब तक शुरू नहीं हुई। पेसा के तहत आदिवासियों को आरक्षण और सुरक्षा देने की बात कही जा रही है, लेकिन ओबीसी को कई राज्यों में 2 से 27 फीसदी तक आरक्षण है। अब सरकार के पास जब इम्पेरिकल डाटा और अन्य जानकारी उपलब्ध है तो उसके आधार पर देश में 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को क्यों नहीं देते यह सवाल भी भुजबल ने किया। पत्र-परिषद में पूर्व विधायक कीर्ति गांधी, बाबासाहब गाडे, क्रांति कामारकर, वसंत घुईखेडकर आदि उपस्थित थे।
 

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