रायपुर में गूंजेगी बापू की प्रिय धुन अबाइड विद मी
छत्तीसगढ़ रायपुर में गूंजेगी बापू की प्रिय धुन अबाइड विद मी
- बापू की प्रिय धुन अबाइड विद मी नहीं दी सुनाई
- 29 जनवरी को विजय चौक पर हुआ समापन समारोह
डिजिटल डेस्क, रायपुर। गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग द रिट्रीट से हो गया, मगर इस बार बापू महात्मा गांधी की प्रिय धुन अबाइड विद मी सुनाई नहीं दी। अब इस धुन को छत्तीसगढ़ का पुलिस बैंड आज बजाने जा रहा है। यह धुन रायपुर के मरीन ड्राइव में गूंजेगी।
देश की राजधानी में 1950 से होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के समापन मौके पर बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जाता है, इस समारोह का समापन बापू की प्रिय धुन अबाइड विद मी से होता रहा है, लेकिन शनिवार 29 जनवरी को विजय चौक पर हुए समापन समारोह में यह धुन सुनाई नहीं दी।
अब छत्तीसगढ़ में बापू के शहीदी दिवस के मौके पर उनकी प्रिय धुन अबाइड विद मी बजाई जाने वाली है। सूत्रों के अनुसार यह धुन छत्तीसगढ़ का पुलिस बैंड बजाएगा और यह आयोजन रायपुर के मेरीन ड्राइव पर होने वाला है। यह ऐसा स्थान है जहां बड़ी संख्या में लोग शाम के समय मौजूद रहते है। ज्ञात हो कि गणतंत्र दिवस समारोह के समापन मौके पर बजाई जाने वाली धुन अबाइड विथ मी को 2020 में पहली बार इसे से हटा दिया गया था,। इस पर काफी विवाद होने के बाद साल 2021 में इसे फिर से समारोह में शामिल कर लिया गया था लेकिन यह दूसरी बार है जब इसे बीटिंग रिट्रीट से हटाया गया है।
देष की राजधानी के विजय चैक पर गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग द रिट्रीट समारोह से होता है, इस समारोह में नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के पारम्परिक बैंड अलग अलग धुन बजाते हैं और देश के लिए शहीद हुए जवानों को याद करते हैं. लेकिन, इस बार बीटिंग द रिट्रीट में अबाइड विद मी की धुन नहीं सुनाई दी। बीटिंग रिट्रीट एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है, जब सूर्यास्त के बाद युद्ध मैदान में जैसे ही बिगुल बजता था, लड़ाई रोक दी जाती थी, हथियार रख दिए जाते थे और युद्ध स्थल छोड़ दिया जाता था. उसी से जोड़कर भारत में इसे साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
अबाइड विद मी गाना प्री-मॉर्डन वल्र्ड में स्कॉटलैंड के एंगलिकन मिनिस्टर हैनरी फ्रांसिस लाइट ने लिखा था और अंग्रेजी संगीतकार विलियम हेनरी मोंक की धुन पर गाया जाता है। यह गाना साल 1820 में लिखा था। अबाइड विथ मी केा महात्मा गांधी के निजी पसंदीदा गानों में से एक माना जाता है, राष्ट्रपिता ने सबसे पहले मैसूर पैलेस बैंड से यह धुन सुनी थी और वो इस गाने को नहीं भूल सके।
(आईएएनएस)