बाबा साहब का संविधान सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी
प्रोफेसर खेमसिंह बाबा साहब का संविधान सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी
डिजिटल डेस्क भोपाल। भारत को एक सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी संविधान देकर बाबासाहेब आंबेडकर जी ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखी, जिससे देश का हर नागरिक समान अधिकार के साथ अपने सपनों को साकार कर सके। यह बात आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 131 वीं जयंती के अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर खेमसिंह डहेरिया ने अपने व्याख्यान में प्रकट की। प्रोफेसर खेमसिंह बाबा साहब के शिक्षा दर्शन विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए बोले कि देश संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के योगदान और विज़न को हमेशा याद रखेगा।
आज का भारत अंबेडकर, ग़रीबों, पिछड़ों और उपेक्षितों का भारत है। हमें सबको को सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी बनाने में अपना-अपना योगदान करना है। इस व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलगुरु प्रोफेसर के. जी. सुरेश ने कहा कि बाबा साहब अमानवता की हर चीज को नकारते थे। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत के लिए नई नीतियां, नया विजन दिया। बाबा साहब ने हमेशा समानता की बात की, जिसमें मानव की समानता से लेकर कानून की समानता तक की बात शामिल है। हमारे संविधान-शिल्पी डॉक्टर आंबेडकर, न्याय व समता पर आधारित समाज के लिए सदा प्रयत्नशील रहे। हम सभी को भी उनके महान व्यक्तित्व और जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेते हुए, उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लेंना चाहिए।
इस आयोजन अवसर पर विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के सयोंजक प्रोफ़ेसर प्रदीप डहेरिया ने बताया कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के कार्यक्रम हर वर्ष माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में 14 अप्रैल को आयोजित होते रहे है। पिछले दो वर्ष कोविड के चलते यह आयोजन ऑनलाइन हुए। कल 14 अप्रैल सुबह साढ़े दस बजे बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 131 वीं जयंती के अवसर विश्वविद्यालय के संविधान पार्क में पुष्पांजलि कार्यक्रम का भी आयोजन होगा।
प्रोफेसर डहेरिया ने बताया कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सार्वभौमिक व्यक्ति हैं। उन पर सभी समुदायों का बराबर का हक़ है। और सभी को उन पर हक़ जमाना और जताना भी चाहिए। उनका पूरा जीवन संघर्षरत रहा है। उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। बाबा साहेब ने हाशिए के कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया। डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता हैं।
अंबेडकर समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं और उपेक्षित वर्ग को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे। इसी कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डा. अरुण खोबरे ने किया और आभार ज्ञापन ज्ञानेश्वर ढोके ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, अधिकारी एवं कर्मचारीगण सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे। साथ ही इस आयोजन में माखनलाल यूनिवर्सिटी के भोपाल कैंपस, दतिया कैंपस, रीवा कैंपस, खण्डवा कैंपस के प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारियों, विद्यार्थियों के साथ, विश्वविध्यालय के भूतपूर्व विद्यार्थी, शहर के विशिष्ट नागरिकों सहित विभिन्न मीडिया समूह के पत्रकार और मीडिया अध्येता के ऑफलाइन सह ऑनलाइन मोड पर उपस्थित रहें।
विश्वविद्यालय के दतिया परिसर में भी संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर जयंती मनायी गई। इस आयोजन में मुख्य अतिथि बतौर पूर्व डीएसपी बी.एल. लोहारिया उपस्थित रहे। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के युवा पीड़ी को डॉ. आंबेडकर जी के बारे में जानना, समझना चाहिए। जिससे समाज में संविधान निर्माता के दृष्टिकोण के अनुरूप विकास हो सके। इस कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक अंकित मुवेल ने दतिया परिसर प्रमुख डॉक्टर संजीव गुप्ता के नेतृत्व में किया।