मलेरिया के 862 मरीज, सावधानी जरूरी
गड़चिरोली में सर्वाधिक, नागपुर व भंडारा में सबसे कम मामले मलेरिया के 862 मरीज, सावधानी जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से अनेक उपाय योजनाएं की जाती हैं। बावजूद इन बीमारियों पर नियंत्रण पाना आसान नहीं होता। इन्हें मौसमी बीमारियां भी कहा जाता है। इनमें मलेरिया, डेंगू, हैजा, टाइफाइड आदि का समावेश होता है। यह बीमारियां मच्छरों के काटने से होती हैं। मलेरिया की बात करें तो नागपुर विभाग अंतर्गत आने वाले 6 जिलों में 1 जनवरी से 31 मार्च 2023 तक 862 मरीज पाए गए हैं। मरीजों की सर्वाधिक संख्या गड़चिरोली जिले में रही है। वहीं नागपुर व भंडारा जिलों में यह संख्या सबसे कम रही है। दो साल में मलेरिया के मरीजों की संख्या कम हुई है, लेकिन अभी खतरा कम नहीं हुआ है।
हर महीने औसत 287 मरीज
नागपुर विभाग अंतर्गत आने वाले छह जिलों में पिछले दो साल से मलेरिया के मरीजों की संख्या कम हो रही है। वहीं मलेरिया से मृतकों की संख्या भी कम हो चुकी है। बावजूद प्रशासनिक यंत्रणा की उदासीनता और नागरिकों की लापरवाही फिर से मलेरिया की संख्या बढ़ा सकती है। 1 जनवरी से 31 मार्च 2023 तक नागपुर विभाग में 862 मरीज मिले हैं। इसका मतलब विभाग में हर महीने 287 मरीज मिल रहे हैं। यानि साल भर में 3448 मरीज मिल सकते हैं। हालांकि बीते दो साल के मुकाबले में यह संख्या कम है। 2021 में 12999 व 2022 में 9729 मामले सामने आए थे। इस हिसाब से 2023 की स्थिति समाधानकारक मानी जा रही है।
2022 में हुई 21 की मौत
1 जनवरी से 31 मार्च 2023 तक मलेरिया से मृतकों की संख्या फिलहाल जीरो है, जबकि 2021 में यह संख्या 14 और 2022 में मृतक संख्या 21 थी। मृतकों में भी सर्वाधिक संख्या गड़चिरोली में थी, जबकि नागपुर, वर्धा व भंडारा जिले की संख्या जीरो रही है। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन नागपुर विभाग के गड़चिरोली, गाेंदिया व चंद्रपुर जिले में अभी भी मलेरिया के प्रति लोग जागरुक नहीं है।
मलेरिया है, उन्हें पता तक नहीं
राष्ट्रीय कीटनाशक रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत सहायक संचालक स्वास्थ सेवा की तरफ से संक्रामक व मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए विविध अभियान चलाए जा रहे हैं। यहां के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गड़चिरोली में अब भी लोग इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं हैं। हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्हें मलेरिया हो चुका है। लेकिन उन्हें खुद पता नहीं है। जब जांच करते हैं, तो मलेरिया के विषाणु दिखाई देते हैं। इस अधिकारी के अनुसार, मलेरिया होने के बावजूद इन लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। उनमें इम्यूनिटी अधिक होने से असर दिखाई नहीं देता। लेकिन कुछ साल बीत जाने के बाद इसका असर शुरू होता है। कई बार मलेरिया के बाद एनीमिया का असर होता है। इसलिए वहां मृतकों की संख्या अधिक होती है।
इन उपाय योजनाओं पर चल रहा काम
मलेरिया विभाग के सहायक संचालक डॉ. श्याम निमगडे ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार मलेरिया की रोकथाम के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण अभियान चलाया जा रहा है। संशयितों के रक्त के सैंपल लेकर जांच की जा रही है। महानगर पालिका, जिला परिषद, नगर परिषद, ग्रामपंचायत स्तर पर स्वास्थ्यकर्मियों के माध्यम से यह काम किया जा रहा है। मलेरिया ग्रस्ताें को मुफ्त में उपचार सुविधा दी जा रही है। गंभीर मरीज पाए जाने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जाता है। दुर्गम भागों में स्वास्थ सेवक, आशा वर्करों द्वारा संदिग्धों के रक्त की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक स्ट्रिप द्वारा की जाती है। मच्छरों का प्रकोप रोकने के लिए 915 गांवों में कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा घर-घर में व आसपास के परिसरों में कीटनाशकों का छिडकाव किया जा रहा है। विभाग में 2.50 लाख मच्छरदानियों का वितरण किया गया है। मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए जल जमाव वाले स्थानों, कुएं, टंकियां आदि स्थानों में गप्पी मछलियां छोड़ी जाती है।
नागपुर विभाग में 1 जनवरी 2021 से 31 मार्च 2023 तक मलेरिया की स्थिति इस प्रकार
वर्ष 2021 कुल मामले मौत
भंडारा 07 00
गोंदिया 499 01
चंद्रपुर 152 05
गड़चिरोली 12326 08
नागपुर 07 00
वर्धा 03 00
वर्ष 2022 कुल मामले मौत
भंडारा 09 00
गोंदिया 373 04
चंद्रपुर 122 04
गडचिरोली 9205 13
नागपुर 12 00
वर्धा 05 00
वर्ष 2023 कुल मामले मौत
भंडारा 01 00
गोंदिया 13 00
चंद्रपुर 02 00
गडचिरोली 844 00
नागपुर 01 00
वर्धा 00 00