गड़चिरोली जिले के 46 अगरबत्ती प्रकल्प बंद

बेरोजगारी गड़चिरोली जिले के 46 अगरबत्ती प्रकल्प बंद

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-12 09:07 GMT
गड़चिरोली जिले के 46 अगरबत्ती प्रकल्प बंद

डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली।  उद्योग विहीन गड़चिरोली जिले में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए वनविभाग ने पहल करते हुए अगरबत्ती प्रकल्प योजना को क्रियान्वित किया। योजना के तहत 7 करोड़ रुपए की लागत से जिले के विभिन्न स्थानों में 46 अगरबत्ती केंद्र स्थापित किए गए, लेकिन वर्तमान में इन केंद्रों में किसी प्रकार का कार्य नहीं किया जा रहा है। यह प्रकल्प पूरी तरह बंद होने के कारण स्थानीय बेरोजगारों से रोजगार छिन गया है। जिले के नाममात्र केंद्रों में इन दिनों केवल अगरबत्ती के स्टीकर बनाने का कार्य जारी होने की जानकारी मिली है। 

बता दें कि, गड़चिरोली वनवृत्त के तत्कालीन मुख्य वनसंरक्षक टी.एस.के. रेड्डी की संकल्पना से जिले में अगरबत्ती केंद्र आरंभ किए गए। गड़चिरोली जिले के देसाईगंज, गड़चिरोली, आलापल्ली, भामरागड़ व सिरोंचा आदि 5 वनविभाग अंतर्गत 46 अगरबत्ती प्रकल्प शुरू किए गए। इसमें प्रायोगिक तत्व पर 5 प्रकल्प, आईएपी अंतर्गत 26, मानव विकास मिशन के तहत 11 और जिला योजना अंतर्गत चार प्रकल्प आरंभ किए गए। प्रायोगिक तत्व पर शुरू किए गए 5 प्रकल्प के लिए प्रति प्रकल्प 60 लाख रुपए का खर्च किया गया। यह प्रकल्प घोट, भामरागड़, सिरोंचा, देऊलगांव व पोर्ला में आरंभ किए गए, लेकिन यह सभी प्रायोगिक प्रकल्प बंद हैं। जिला मुख्यालय से सटे पोर्ला का अगरबत्ती प्रकल्प विगत अनेक दिनों से बंद है।

 प्रकल्प के तहत दर्जनों की संख्या में महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया था, लेकिन प्रकल्प बंद होने के कारण रोजगार प्राप्त महिलाओं को अब काम के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। वहीं आईएपी योजना अंतर्गत  वनविभाग की ओर से 26 अगरबत्ती प्रकल्प शुरू किए गए। जिनमें आलापल्ली, गोमनी, हालेवारा, ताड़गांव, लाहेरी, कोटी, जांभई, कसुरवाही, गट्टा, अमराडी, रोमपल्ली, झिंगानुर, वडधम, जिमलगट्टा, कमलापुर, व्यंकटापुर, मुरूमगांव, मारोड़ा, वाकडी, कृपाला, कोंढ़ाला, तलेगांव, बेडग़ांव, वडेगांव, मरेगांव आदि प्रकल्प का समावेश किया गया। इन प्रकल्पों के लिए प्रत्येक 17 लाख 83 हजार रुपए खर्च किए गए।  आईएपी के तहत आरंभ किए गए प्रकल्प जिले के दुर्गम क्षेत्र में आरंभ किए गए। इन सभी 26 प्रकल्पों के लिए आईएपी योजना के तहत गोदामों का निर्माण किया गया। जिसके बाद अगरबत्ती के लिए आवश्यक मशीनें उपलब्ध कराकर अगरबत्ती निर्माण का कार्य आरंभ किया गया। क्षेत्र के सैंकड़ों महिला-पुरुषों को इन प्रकल्प के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया, लेकिन वर्तमान में यह प्रकल्प भी बंद हैं।  


 

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