शुरू होने के पहले ही 3 करोड़ की मरम्मत का फटका

ई-लाइब्रेरी अटकी शुरू होने के पहले ही 3 करोड़ की मरम्मत का फटका

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-04 09:51 GMT
शुरू होने के पहले ही 3 करोड़ की मरम्मत का फटका

डिजिटल डेस्क, नागपुर । दक्षिण नागपुर के मानेवाड़ा, बालाजीनगर व आसपास के इलाकों के विद्यार्थियों के लिए ई-लाइब्रेरी की मांग सालों से की जा रही थी। वर्ष 2015 में नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा इस मांग को पूरा करने के लिए बालाजीनगर हनुमान मंदिर से सटे तकरीबन 4 हजार वर्ग मीटर भूखंड पर अत्याधुनिक ई-लाइब्रेरी के लिए 2 मंजिला इमारत बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके लिए 8.38 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी।

वर्ष 2016 से ई-लाइब्रेरी के लिए इमारत का निर्माण कार्य शुरू किया गया, 5 करोड़ रुपए राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए। प्रथम चरण में 3.38 करोड़ की लागत से इमारत का निर्माण कार्य करने का निर्णय लिया गया। आर्किटेक्चर चार्जेस 26.29 लाख रुपए दिए गए। 5 करोड़ रुपए बोरवेल, फायर फायटिंग सिस्टम आदि पर खर्च हुए। इस प्रकार दो वर्ष में 8.38 करोड़ रुपए खर्च कर इमारत तैयार की गई, जिसे शीशे की दीवारों से जड़ा गया, लेकिन असामाजिक तत्वों ने शीशे की दीवारों को पत्थर मारकर चकनाचूर कर दिया। अब एक बार फिर इस इमारत को नए सिरे से तैयार के लिए 3 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

कीमती उपकरण हो गए चोरी : इस इमारत में प्रवेश कर कीमती उपकरण व विद्युत केबल चुरा लिए गए। अबकि बार इमारत में लगे शीशों की सुरक्षा के लिए लोहे के पाइप को ढाल के रूप में लगाया गया है, लेकिन तोड़-फोड़ फिर भी शुरू है।

जल्द तैयार होगी ई-लाइब्रेरी
ई-लाइब्रेरी की इमारत में टूटे शीशे बदलने, आतंरिक साज-सज्जा, फर्नीचर, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, एसी, विद्युत व्यवस्था आदि की जिम्मेदारी हमें दी गई है। यह काम विगत 3 वर्ष से शुरू है। 3-4 दिन में विद्युत व्यवस्था पूरी होगी। काम पूर्ण होने के बाद यह लाइब्रेरी जल्द शुरू की जा सकती है। -मनोज ढोबले, ठेकेदार

30 लाख का ट्रंासफार्मर लगाया, फिर भी बिजली नहीं
ई-लाइब्रेरी शुरू न होने का बड़ा कारण विद्युत व्यवस्था न होना था। सूत्रों के मुताबिक इमारत बनने के साथ ही विद्युत व्यवस्था कर ली जाती तो कदाचित इमारत को नुकसान नहीं पहुंचता। विद्युत व्यवस्था के अभाव में लगभग दाे वर्ष तक इस इमारत पर ताला जड़ा रहा। महावितरण ने ई-लाइब्रेरी के लिए 50 केवी लोड देने से इनकार कर दिया, साथ ही नया ट्रांसफार्मर लगाने के निर्देश दिए। 30 लाख रुपए खर्च कर ट्रांसफार्मर तो लगा दिया गया, लेकिन अब भी इमारत अंधेरे में ही है। अब तक विद्युत विभाग द्वारा कनेक्शन नहीं दिया गया है।

 

 

 

 

 

 

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