टाइअप के खेल में खाली रह गईं 26 हजार 37 सीटें

11th एडमिशन टाइअप के खेल में खाली रह गईं 26 हजार 37 सीटें

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-22 06:11 GMT
टाइअप के खेल में खाली रह गईं 26 हजार 37 सीटें

डिजिटल डेस्क,  नागपुर । शहर में जारी 11वीं कक्षा की प्रवेश प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। इस वर्ष शहर के 218 हाईस्कूल व जूनियर कॉलेजों में कुल 59 हजार 195 सीटें थीं। प्रवेश प्रक्रिया के कुल 6 राउंड की समाप्ति के बाद केवल 33 हजार 158 सीटों पर प्रवेश हुए हैं, 26 हजार 37 सीटें खाली रह गई हैं। खाली सीटों की यह संख्या पिछले वर्ष से 2 हजार अधिक हैं। बीते वर्ष करीब 24 हजार सीटें खाली थीं। ऐसे में केंद्रीय प्रवेश समिति की हालिया बैठक में स्वयं समिति सदस्यों ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। दरअसल कोचिंग और ग्रामीण के जूनियर कॉलेजों के टाईअप का बड़ा खेल सामने आया है। कोचिंग में पढ़ने वाले छात्रों ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश लिया है, जिससे उन्हें स्कूल जाने और असाइनमेंट जमा करने में छूट मिल जाएगी। ऐसे में शहर के कॉलेजों में सीटें खाली रह गई हैं।

समिति सदस्य का आरोप
समिति सदस्य डॉ. जयंत जांभुलकर का आरोप है कि शहर के कई कॉलेजों ने अपनी प्रवेश क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश दे दिए हैं, तो वहीं दूसरी ओर कई कॉलेजों में आधे से अधिक सीटें खाली हैं। ऐसे में क्षमता से अधिक प्रवेश देने वाले कॉलेजों पर शिक्षा उपसंचालक को कार्रवाई करनी चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में लिए प्रवेश
दरअसल नागपुर में कोचिंग और जूनियर कॉलेजों के टाईअप के चलते प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता सवालों के घेरे में होती है। विद्यार्थी महंगे कोचिंग सेंटर में प्रवेश के बाद उसी कोचिंग के टाईअप वाले जूनियर कॉलेज में प्रवेश लेते हैं। साल भर न तो इन्हें कॉलेज में कक्षाएं करनी पड़ती हैं और न ही असाइनमेंट जमा करने होते हैं। शहर के अधिकांश कोचिंग सेंटरों के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित जूनियर कॉलेजों से टाईअप है। ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रीय प्रवेश पद्धति से प्रवेश नहीं होते, यह प्रक्रिया केवल शहर के जूनियर कॉलेजों के लिए होती है। ऐसे में कोचिंग और जूनियर कॉलेज इस खामी का फायदा लेते हैं। डॉ. जांभुलकर ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर शहर में 10वीं पास करने वाले इतने अधिक विद्यार्थी थे, तो शहर के जूनियर कॉलेजों में प्रवेश क्यों नहीं दिख रहे हैं? इस मामले में शिक्षा उपसंचालक से मामले की विस्तृत जांच की मांग की गई है।

 

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