नागपुर शहर से अव्वल अनुजा सहस्त्रबुद्धे कंप्यूटर साइंस में बनाना चाहती है कॅरियर

नागपुर शहर से अव्वल अनुजा सहस्त्रबुद्धे कंप्यूटर साइंस में बनाना चाहती है कॅरियर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-08 14:00 GMT
नागपुर शहर से अव्वल अनुजा सहस्त्रबुद्धे कंप्यूटर साइंस में बनाना चाहती है कॅरियर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोमवार हाई स्कूल की अनुजा सुनील सहस्त्रबुद्धे ने 10वीं कक्षा में 98.40 प्रतिशत अंकों के साथ शहर में पहला स्थान हासिल किया। संस्कृत और गणित में अनुजा ने 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं। इसी तरह अंग्रेजी में 97 और साइंस में 96 अंक मिले हैं। अनुजा ने बताया कि वे कंप्यूटर इंजीनयिरिंग के क्षेत्र में करिअर बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि नियमित तौर पर सेल्फ स्टडीज करती थी। यहां तक की उन्हें किसी प्रकार की कोचिंग की भी जरुरत नहीं पड़ी। केवल स्कूल की पढ़ाई और क्रैश कोर्स के आधार पर उन्होंने सफलता अर्जित की है।

पढ़ाई अलावा उन्हें क्लासिकल म्यूजिकल में भी रूचि है। क्लासिकल वोहकल में उन्होंने 2 परीक्षाएं दी है। उसे अधिकांश वेद, भजन आते हैं। अनुजा के अनुसार किसी एक सब्जेक्ट की तैयारी करने का प्लान बनाने से अच्छा है कि किसी भी सब्जेक्ट की पढ़ाई करने की तैयारी नियमित तौर पर हर दिन करते रहो एग्जाम में आसानी होती है। अनुजा के पिता निजी संगठन में नौकरी करते हैं और मां दिपाली गृहणी है. अनुजा की बड़ी बहन इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है।अनुजा ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ स्कूल के शिक्षकों को दिया है। 

आईआईटी से इंजीनियरिंग करने का है सपना- श्रेयस मदनकर
तेजस्विनी विद्या मंदिर के छात्र श्रेयस मदनकर ने  दसवीं की परीक्षा में 98.2% अंक प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया है। श्रेयस के अनुसार उन्हें उम्मीद थी कि उनका रिजल्ट बेहतर ही होगा। वे हर दिन चार से पांच घंटे पढ़ाई करते थे। परीक्षा के दौरान उन्होंने खुद को रिलैक्स रखा था। स्कूल की पढ़ाई के अलावा उन्होंने कोचिंग की भी मदद ली थी। उनके पिता संदीप मदनकर सरकारी सेवा में है और माता लता मदनकर स्कूल में शिक्षिका हैं।

श्रेयस के अनुसार उन्हें पढ़ाई के अलावा खेल और अन्य प्रतियोगिताओं में भी रूचि है। वे आगे चल कर इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे आईआईटी में दाखिले का सपना देख रहे हैं। श्रेयस के अनुसार शुरुआत से ही पढ़ाई जारी रखें, तो पेपर के पहले ज्यादा बर्डन नहीं होता। परिश्रम को सफलता की कुंजी बताते हुए उन्होंने नियमित अभ्यास को जरुरी बताया है। 

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