अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: तीन साल की उम्र में मां से सीखी कलां, अब गरीब बच्चों को सीखा रही, जीते ढेरों पदक
- आद्या भारती को 8 मार्च 2022 को इन्हें अंतर्राष्टीय दिवस पर सम्मानित किया गया है।
- आद्या अभी राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान कुरुक्षेत्र से अध्ययन कर रही है।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सिपाही और कलाकार बनाए नहीं जाते, बल्कि वे पैदा होते हैं। समय के साथ उनमें छिपा व्यक्तित्व निखरकर स्वयं सामने आ जाता है और दुनिया को रोशन करता है। ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं तुलसी नगर भोपाल में रहने वाली आद्या भारती। इन्होंने राजधानी भोपाल के नजदीकी ग्राम पिपलिया धाकड़ के गरीब बच्चों को समय-समय पर मदद कर उनकी पढ़ाई को निरंतर जारी रखने में मदद की है। साथ ही बाल कल्याण शोध संस्थान में बच्चो को चित्र कला सिखाई। इन्होंने स्वयं के द्वारा ज्ञान दान चैनल बनाया इसके माध्यम से छात्रों को परीक्षा के तनावों से बचने की युक्ति सिखाई। अंग्रेजी माध्यम मे उपलब्ध कक्षा 10 के अच्छे ज्ञान वर्धक वीडियो को हिंदी माध्यम के बच्चों हेतु उपलब्ध कराया गया है। बता दें कि 8 मार्च 2022 को इन्हें अंतर्राष्टीय दिवस पर सम्मानित किया गया है। अभी वह 18 वर्ष की है तथा राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान कुरुक्षेत्र से अध्ययन कर रही है।
चार साल की उम्र में पाया पहला पुरूस्कार
आद्या ने तीन साल की उम्र से ही मां सोनल भारती के प्रेरणा से चित्रकला सीखी। चार साल की उम्र में वन विभाग द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर चित्रकला प्रतियोगिता में भोपाल जिले में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके बाद आद्या ने विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रमाण पत्र, पुरस्कार व सम्मान हासिल किए। बाल भवन में माडर्न आर्ट के पारखी महेश सैनी ने उसे चित्रकला का नियमित प्रशिक्षण दिया। आद्या भारती की कला की सृजन शक्ति दिन-ब-दिन निखरती जा रही है।
इसमें पाया प्रथम स्थान
आद्या ने कला कला चित्रकला प्रतियोगिता, पत्रिका अपनी कल्पना, परपल मार्च, 92.7 बिग एफएम, बिरला जीवन बीमा, मप्र बाल दिवस 2015 प्रतियोगिता आदि चित्रकला प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने परिवार व स्कूल का मान बढ़ाया। आदिवासी जीवन पर आधारित आद्या की 15 चित्रों को बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र की कला दीर्घा प्रदर्शित किया गया। आद्या को बाल कल्याण एव बाल साहित्य शोध केन्द्र द्वारा मानस भवन में सम्मानित किया गया चित्रकला के सिवा आद्या पढ़ाई, खेल-कूद व कविता लेखन में भी अव्वल रहती है। आद्या के दादाजी डॉ. प्रेम भारती एक ख्यात शिक्षाविद् एवं लेखक हैं। उनके लेखन से प्रेरित होकर आद्या ने काव्य लिखना शुरू किया।