CWG 2018: फिल्म 'शोले' का शूटिंग कनेक्शन, 'सिल्वर गर्ल' मेहुली की कहानी
CWG 2018: फिल्म 'शोले' का शूटिंग कनेक्शन, 'सिल्वर गर्ल' मेहुली की कहानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को सिल्वर मेडल दिलाने वाली महिला शूटर मेहुली घोष की अपनी ही अलग कहानी है। देश की उभरती प्रतिभाओं में से एक मेहुली कुछ ही अंकों से गोल्ड मेडल से चूक गईं। पश्चिम बंगाल के कल्याणी की रहने वाली मेहुली की शूटर बनने की कहानी अपने आप काफी दिलचस्प है।
"शोले" का शूटिंग कनेक्शन
18 साल की मेहुली घोष उस समय सुर्खियों में आईं जब उन्होंने 2017 की नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 8 मेडल जीते, इसके बाद शूटिंग वर्ल्ड कप में मेहुली ने दो पदक अपने नाम किए। मेहुली बचपन में टीवी सीरियल सीआईडी और इंस्पेक्टर दया की फैन रहीं, उनकी जिंदगी में शूटिंग को लेकर लगाव उस वक्त बढ़ा जब उन्होंने टीवी पर फिल्म शोले देखे, फिल्म शोले में शूटिंग सीन देखकर मेहुली को निशानेबाजी का शौक लगा और देखते ही देखते ये शौक उनके लिए जुनून बन गया। अब मेहुली का यही जुनून उन्हें देश विदेश में ख्याति दिला रहा है वो दुनिया के टॉप शूटरों में सुमार हैं और भारत के कई युवाओं की प्रेरणा बन गई हैं।
डिप्रेशन का हो चुकी हैं शिकार
14 साल की उम्र में एक हादसे के बाद मेहुली डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। हादसा उस वक्त हुआ था जब मेहुली प्रैक्टिस कर रही थीं और फायर हुई एक गोली से एक व्यक्ति को चोट लग गई थी। इस घटना के बाद मेहुली को निलंबित कर दिया गया था और हादसे के कारण वो लंबे समय तक डिप्रेशन में रहीं। डिप्रेशन से निकलने के लिए मेहुली को काउंसलिंग तक लेनी पड़ी थी। भारत के पूर्व शूटर जॉयदीप करमाकर ने उस दौर में मेहुली का काफी साथ दिया था और उनके करियर को आगे बढ़ाने में काफी मदद की. इसके बाद धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और मेहुली ने 2016 और 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते.