बीजेपी और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी में ऐसी क्या हुई डील, नीतीश के कैबिनेट से बेटे संतोष सुमन को देना पड़ा इस्तीफा!
- जीतन राम मांझी का महागठबंधन से मोह भंग
- बीजेपी के साथ बनी डील
- बेटे को लोकसभा और मांझी को राज्यपाल बनाएगी बीजेपी!
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार की सियासत में इन दिनों उठापटक लगी हुई है। बीते दिन नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष संतोष सुमन ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद से ही चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या वो बीजेपी के साथ जाने वाले हैं। इस बात को हवा इसलिए भी मिल रही है क्योंकि गठबंधन में मौजूद और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी तंज कसना शुरू कर दिया है। जीतन राम मांझी के बेटे के इस्तीफे पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था, कि 'हम' एक छोटी दुकान है जहां जाना हो जा सकती है। वहीं प्रदेश के डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि, जीतन राम मांझी को नीतीश कुमार ने सीएम बनाया, उनके बेटे को मंत्री बनाया, फिर भी वो महागठबंधन में रहना नहीं चाहते हैं तो वो जानें। जीतन राम मांझी और उनके बेटे संतोष सुमन के नीतीश सरकार से इस्तीफा देना चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि, 'हम' की ओर से अभी आधिकारिक एलान नहीं किया गया है कि वो महागठबंधन का हिस्सा नहीं हैं लेकिन मांझी के इस कदम से अब करीब-करीब अब साफ हो चला है कि महागठबंधन से 'हम' को दूर कर लिया है।
वहीं जब से पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने इस्तीफा दिया है तब से सीनियर मांझी मीडिया के सामने नहीं आए हैं। हालांकि, संतोष मीडिया के सामने आकर नीतीश सरकार के कैबिनेट से इस्तीफा देने का कारण बता चुके हैं। उन्होंने नीतीश कुमार और जेडीयू पर आरोप लगाया है कि, उनकी पार्टी 'हम' को जेडीयू में विलय करने की बात कही जा रही थी। जिसकी वजह से उन्हें उनका साथ छोड़ना पड़ा। वहीं महागठबंधन का साथ छोड़ते ही 'हम' को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ ही दिनों में जीतन राम मांझी बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं। हालांकि, इससे भी ज्यादा इस बात की चर्चा है कि आखिर अचानक महागठबंधन से मोह भंग और बीजेपी के साथ जाने के लिए मांझी तैयार कैसे हो गए? खबरें हैं कि, बीजेपी और 'हम' में लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी डील हुई है। जिसका खुलासा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में हुआ है।
बीजेपी से मांझी की डील
जानकारी के मुताबिक, जीतन राम मांझी और बीजेपी में लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी डील हुई है। इसके पहले मांझी महागठबधंन में 5 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग चुके हैं। लेकिन बीजेपी में आने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या महागठबंधन से ज्यादा यहां कुछ मिलने जा रहा है। सियासत के जानकार कहते हैं कि, 'हम' को न ही महागठबंधन '5 लोकसभा' सीट देती कि चुनाव लड़ो और न ही आगे बीजेपी ऐसा करने वाली है क्योंकि बीजेपी का प्लान 30 और 10 का है। यानी 30 पर खुद बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारेगी जबकि 10 सीटों पर गठबंधन के सभी साथियों को निपटाने की कोशिश करेगी। जिनमें चिराग पासवान, मुकेश सहनी, उपेंद्र कुशवाहा और पशुपति पारस जैसे गठबंधन के साथी हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, बीजेपी 'हम' को एक लोकसभा सीट से अधिक देने वाली नहीं है और महागठबंधन में रहते तो वहां भी उन्हें आसानी से एक सीट मिल जाती। लेकिन बीजेपी से गठबंधन करने में जीतन मांझी का एक और प्लान है।
राज्यपाल बनेंगे जीतन राम मांझी!
दरअसल, जीतन राम मांझी की उम्र 78 साल हो चुकी है। उनके करीबियों का कहना हैं कि, मांझी अपने राजनीतिक करियर को वो बहुत ही शानदार अन्त चाहते हैं। जो बीजेपी के साथ ही संभव है। इसी को देखते हुए मांझी ने भाजपा के साथ तगड़ी डील की हुई है। कहा जा रहा है कि मांझी को बीजेपी राज्यपाल बनना सकती है। जबकि उनके बेटे को लोकसभा चुनाव में टिकट दे सकती है। पिता और बेटे को साधते हुए बीजेपी ने यह प्लान लोकसभा चुनाव को देखते हुए बनाया है ताकि भाजपा को बिहार में मदद मिल सके।
गया सीट पर मांझी की 'नजर'
खबरें हैं कि, बीजेपी ने मांझी के बेटे संतोष सुमन को गया लोकसभा सीट से एनडीए कोटे से टिकट देने की बात कही है। जिस पर लगभग-लगभग बात बन गई है। दूसरी तरफ मांझी को राज्यपाल बना कर उन्हें राजशाही की तमाम सुविधा देने को कहा है। गया सीट पर मांझी लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन पिछले दो चुनाव में उन्हें मात ही मिली है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के विजय मांझी से करीब डेढ़ लाख वोटों से हार गए थे। जबकि, साल 2014 के आम चुनाव में भी उन्हें बीजेपी के प्रत्याशी हरि मांझी से एक लाख पंद्रह हजार वोटों से शिकस्त मिली थी। लेकिन इस बार गया किले को फतह करने के लिए मांझी ने बीजेपी के साथ साठ गांठ करने की रणनीति बनाई है।