बीजेपी के अहम फैसलों को बदलने की तैयारी में सिद्धारमैया सरकार, 'धर्मांतरण विरोधी कानून' को निरस्त कर की शुरुआत
'धर्मांतरण विरोधी कानून' को कर्नाटक सरकार ने लिया वापस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया 'धर्मांतरण विरोधी कानून' कांग्रेस सरकार की कैबिनेट ने निरस्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य में 'गोहत्या निरोधक कानून' के सख्त प्रावधानों को भी कांग्रेस सरकार कमजोर करने की तैयारी में जुटी हुई है। 15 जून को सिद्धारमैया सरकार ने कई अहम फैसले लिए। आज मीटिंग के दौरान कर्नाटक सरकार ने आरएसएस के संस्थापक रहे केबी हेडगेवार से जुड़ा चैप्टर राज्य के स्कूली सिलेबस से हटा दिया है।
इसके अलावा पिछले साल बीजेपी कार्यकाल में जो स्कूली सिलेबस में बदलाव किया गया था। उसे भी अब कांग्रेस सरकार ने वापस ले लिया है। इसका मतलब है कि अब राज्य में वहीं पढ़ाई होगी, जो पहले हुआ करती थी। साथ ही कर्नाटक सरकार ने यह फैसला लिया है कि सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य होगा। कांग्रेस द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून के बाद बीजेपी हमलावर है।
नए सिलेबस में जोड़ी जाएंगी ये सभी चीजें- शिक्षा मंत्री
इस मसले पर कर्नाटक के नवनिर्वाचित शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि कर्नाटक कैबिनेट ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों से आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार से जुड़े अध्याय को हटाने का फैसला किया है। बीते वर्ष उन्होंने (बीजेपी) जो भी बदलाव किए थे, अब हमारी सरकार उसे बदल दिया है। साथ ही हम सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गांधी को लिखे गए नेहरू के पत्रों और बीआर आंबेडकर पर लिखी कविता को नए सिलेबस में जोड़ने जा रहे हैं।
पूर्व शिक्षा मंत्री ने किया पलटवार
बीजेपी नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि वे (कांग्रेस) मुसलमानों के वोट चाहते हैं, सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। वे हिजाब को फिर से लागू करने वाले हैं। वे अल्पसंख्यकों के वोटों को आकर्षित करने में लगे हुए हैं और ये लोग हर चीज का राजनीतिकरण करना चाहते हैं। माना जा रहा है कि राज्य में गोहत्या निरोधक कानून को भी कांग्रेस सरकार हटा सकती है। हाल ही में कर्नाटक के एक मंत्री ने कहा था कि यदि भैंसों को काटा जा सकता है तो फिर गायों को क्यों नही?