दल बदलने वालों से कोई फर्क नहीं पड़ता, मायावती के ऐलान से दागियों में मची है भगदड़
यूपी चुनाव पर बीएसपी के बड़े नेता से बेबाक बात दल बदलने वालों से कोई फर्क नहीं पड़ता, मायावती के ऐलान से दागियों में मची है भगदड़
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज के कई कद्दावर नेता पार्टी को छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं। पश्चिमी यूपी के बड़े मुस्लिम चेहरे कादिर राणा हाथी की सवारी छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो गए। माना जा रहा है कि कादिर राणा के बसपा छोड़ने के साथ ही पार्टी के पास जिले में कद्दावर मुस्लिम चेहरों की कमी हो गई है। बसपा के ऐसे ही सियासी हालात बिजनौर, हापुड़ और पश्चिमी यूपी के दूसरे जिलों का है, जहां से मुस्लिम नेता या तो पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हो गए या फिर किसी दूसरे पार्टी में शामिल हो गए। बसपा से इन नेताओं का मोह भंग होना सियासत में सवाल छोड़ गया है, जिसको लेकर भास्कर हिंदी संवाददाता अनुपम तिवारी ने बहुजन समाज पार्टी प्रवक्ता फैजान खान से खास बातचीत की।
भास्कर हिंदी- मायावती से मुस्लिमों का मोहभंग क्यों हो रहा है? पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता कादिर राणा ने हाथी से उतकर साइकिल की सवारी कर ली। बसपा इसकी भरपाई कैसी करेगी?
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- हमारे यहां जो लोग जा रहे हैं या तो गुप्त रूप से जा रहे हैं या फिर पर्सनल कारण से जा रहे हैं। बहन मायावती ने जब से एलान किया है कि 2022 में किसी भी माफिया को टिकट नहीं देंगे, तो जाहिर सी बात है कि जिनका मकसद केवल चुनाव लड़ना है वो सपा में या किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल ही होंगे। इनका मतलब ना समाज से है ना ही प्रदेश से ये लोग केवल चुनाव लड़ना चाहते हैं। कल को सपा से टिकट नहीं पाएंगे तो किसी दूसरे दल में शामिल हो जाएंगे। इनसे हमें भरपाई करने की जरूरत नहीं है। हमें जहां भरपाई करने की जरूरत है या फिर जहां बहुजन समाज पार्टी ने मुसलानों के लिए कार्य किया है वो 2007 से 2012 तक सबने देखा। आज जब सारे विपक्षी चाहे भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी या फिर कांग्रेस पार्टी हिंदुत्व की राजनीति पर लगे हैं। तब बहन मायावती अपने उसी नारे के साथ खड़ी हुई हैं, सर्व जन हिताय , सर्वजन सुखाय। जहां केवल समाज की बात होती है। अगर इस प्रदेश में मुसलमानों के साथ सौतेला व्यवहार हुआ तो मायावती जी ने डंके की चोट पर कहा।
भास्कर हिंदी- असदुद्दीन ओवैसी कह रहे हैं कि वो बीजेपी व कांग्रेस को छोड़कर किसी भी पार्टी से आगामी यूपी विधान सभा चुनाव में गठबंधन कर सकते है, तो क्या माना जाए कि बसपा अब ओवैसी से गठबंधन कर पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी।
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- मायावती जी इस बात को पहले ही जनता व मीडिया के सामने रख चुकीं हैं कि 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगी। हमारा गठबंधन उत्तर प्रदेश की जनता से होगा।
भास्कर हिंदी- बहुजन समाज पार्टी के पूर्व अध्यक्ष आर एस कुशवाहा ने साइकिल की सवारी कर ली और बसपा पर आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी अपने मूल विचारों से भटक गई। इसलिए सभी पुराने साथी पार्टी छोड़ रहे हैं। कुशवाहा के बीएसपी छोड़ने से पार्टी को कितना नुकसान होगा?
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आर एस कुशवाहा, कुशवाहों के नेता नहीं थे। सबके बेटे बड़े हो गए हैं, सबको अब चुनाव लड़ना है, सबको टिकट चाहिए। मायावती जी अब समाज के नए चेहरे और उन लोगों को जोड़ कर लीडरशिप बढ़ा रही हैं जो समाज से जुड़े हुए है। क्योंकि मायावती जी समाज को जोड़ती हैं ना कि लीडर को। जब इन लोगों को दिख रहा है कि हमें कोई काम करने को उस तरह नहीं मिल रहा है, जिससे हमारी महत्वाकांक्षा पूरी हो सके तो और किसी दल में शामिल हो रहे हैं। इससे बहुजन समाज पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। जिन नेताओं को रोटी बोटी मिल जाती है तो उनका काम खत्म हो जाता है फिर वो दूसरे पार्टी में चले जाते हैं। मायावती जी समाज के लिए काम करना चाहती है। जब ये लोग समाज के लिए बात ना करके अपने परिवार के लिए बात करने लगे तो मायावती जी ने इंकार किया फिर इन सबको जब पर्सनल फायदा नहीं दिखा तो पार्टी से अलग हो गए। हमें इस तरह की राजनीति नहीं करनी है बहुजन समाज पार्टी जनहित की पार्टी है वो जनहित से जुड़े लोगों की इज्जत करती है।
भास्कर हिंदी- लखीमपुर खीरी कांड, राजस्थान दलित हत्या या फिर सिंधु बॉर्डर पर दलित हत्या का मामला हो, इन सभी जगहों पर बसपा सुप्रीमो मायावती संघर्ष करती नहीं दिखीं। केवल ट्वीटर पर ही संवेदनाएं प्रकट की। क्या सोशल मीडिया से ही मायावती वोटरों को लुभाने में कामयाब होंगी?
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- बहुजन समाजवादी पार्टी एक संवैधानिक पार्टी है, वह बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय पर काम करती है। हम कांग्रेस पार्टी व प्रियंका गांधी की तरह वो काम नहीं करते इसलिए सबको ऐसा दिख रहा है। हमारी पार्टी संविधान के दायरे में रहकर काम करती है। हम अपने शासन काल में दोहराते हैं कानून द्वारा कानून का राज फिर कानून को हम नहीं तोड़ सकते हैं। लखीमपुर खीरी घटना पर सबसे पहले किसी ने वहां जाने की बात कही तो वो सतीश चंद्र मिश्रा जी थे, सबसे पहले हाउस आरेस्ट कोई होता है तो सतीश चंद्र मिश्रा जी। सबसे पहले मायावती जी ने लखीमपुर खीरी घटना को लेकर ट्वीट किया व निंदा की है। आज भी बहुजन समाजवादी पार्टी उस मंत्री की बर्खास्तगी की मांग कर रही है। दलित किसान की मौत को लेकर मायावती जी ने कहा कि सिर्फ लखीमपुर खीरी कांड पर ही बात ना हो, दलित किसान परिवार को भी मुआवजा दिया जाए।
भास्कर हिंदी- बीजेपी ने दावा किया है कि सपा और बसपा आगामी विधानसभा चुनाव में 50 का आंकड़ा नहीं पार कर पाएगी। इस पर आप का क्या कहना है?
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- 2022 में सबको पता चल जाएगा कि किसको कितनी सीट मिलेगी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपने बारे में बताए कि यूपी में कानून की धज्जियां उड़ रही है। जहां व्यापारी महिलाएं, किसान, वकील, डॉक्टर तथा इंजीनियर कोई भी सुरक्षित नही हैं। बीजेपी यूपी में दहशत का माहौल बना रही है। कार्रवाई के नाम पर ठगने का काम कर रहे हैं। जाति बिरादरी में ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं। गरीब मजदूर के लिए कोरोना काल में जब ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो कहते है कि हमारे पास पैसे नहीं है। बसपा पार्टी 2007 की भांति ही 2022 में बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही और प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी।
भास्कर हिंदी- बीएसपी आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी युवाओं को टिकट देने पर विचार कर रही है तो वहीं प्रियंका गांधी ने मंगलवार को बड़ा गेम खेला है और 40 फीसदी महिलाओं को यूपी विधान सभा चुनाव में टिकट देने का एलान किया है। इससे बसपा को कितना फायदा या नुकसान होगा।
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- यूपी की जनता इनकी नियति और नीति दोनों को देखा है। हमें कोई इससे फायदा व नुकसान नहीं होगा। मैं प्रियंका गांधी से पूछना चाहता हूं कि जब उनकी सरकार रहती है तो 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए क्यों नहीं करती है। इसका मतलब है कि 2022 चुनाव के कारण नाटक कर रही है। लाइमलाइट में आने के लिए ये सब खेल कर रही है। ये सब जनता जानती है कि ये स्टंट कर रही हैं। इनके एलान से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
भास्कर हिंदी- बीजेपी कहती है कि बहुजन समाज पार्टी का जनता के बीच जनाधार खत्म हो गया है। इसलिए पार्टी के संस्थापक सदस्य एक-एक कर पार्टी छोड़ रहे हैं। बीएसपी मरे हुए हाथी के समान है। आप इस पर क्या कहेंगे?
फैजान खान, बीएसपी प्रवक्ता- ये तो 2022 में बता देंगे कि यूपी में जनता हाथी को मरा पा रही या खड़ा पा रही है। ये यूपी की जनता इन्हें बता देगी। अगर भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि बसपा कमजोर है फिर इतना बौखलाए हुए क्यों हैं। बीजेपी क्यों बसपा के नक्शे कदम पर चलती है, जब बसपा प्रबुद्ध वर्ग कार्यक्रम शुरू करती है तो इनको भी ब्राह्मणों की याद आती है। बीजेपी का हाल खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाला हाल है। ये बीएसपी की नकल करते हैं लेकिन कर नहीं पाते हैं। क्योंकि नकल करने के लिए अक्ल की जरूरत है।