कभी उद्धव ठाकरे के लिए की थी कुर्सी कुर्बान, अब कुर्सी की खातिर महाराष्ट्र की सत्ता डिगाने वाले शिंदे कौन है?
महाराष्ट्र हाई-वोल्टेज ड्रामा कभी उद्धव ठाकरे के लिए की थी कुर्सी कुर्बान, अब कुर्सी की खातिर महाराष्ट्र की सत्ता डिगाने वाले शिंदे कौन है?
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में इस समय सियासी पारा अपने चरम पर है। एक समय पार्टी के सबसे वफादार कार्यकर्ता रहे एकनाथ शिंदे ने अचानक बगावती तेवर दिखाकर स्थिर सरकार में भूचाल पैदा कर दिया है। वह अभी भी पांच मंत्रियो सहित 26 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में ठहरे हुए है।
1980 में शाखा प्रमुख के पद पर शिवसेना में शामिल हुए शिंदे को ठाकरे परिवार के करीबियों में से एक माना जाता है। इस वक्त सब की निगाहें उन पर टिकी हुई है, तो आइये जानते है कौन है एकनाथ शिंदे, जो महाराष्ट्र सरकार के लिए सिरदर्द बने हुए है।
एक समय मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले एकनाथ शिंदे फिलहाल शिवसेना-एनसीपी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री है, जो शहरी विकास और लोक निर्माण का दायित्व संभालते हैं। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एकनाथ शिंदे सीएम की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उद्धव ठाकरे के लिए वो पीछे हट गए।
शिंदे के अलावा उनके परिवार के कई अन्य सदस्य भी राजनीति में सक्रिय हैं। उनका बीटा श्रीकांत सांसद है जबकि उनका भाई प्रकाश शिंदे पार्षद है। जानकारी के मुताबिक, शिंदे 1980 में शाखा प्रमुख के तौर पर शिवसेना में शामिल हुए थे और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और महाराष्ट्र में एक नेता के रूप में अपने रुतबे को मजबूत पकड़ के साथ बरकरार रखा।
शिंदे महाराष्ट्र विधानसभा में 2004 से लगातार चार बार निर्वाचित हुए। 2004, 2009, 2014 और 2019 में वह विधायक चुने गए है। 2014 में शिवसेना के भाजपा से अलग होने के बाद शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया था। इसके बाद 2019 में जब एक बार फिर शिवसेना और बीजेपी में रार हुई और शिवसेना ने एनसीपी की मदद से सरकार बनाई तब शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन उद्धव ठाकरे के चलते उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए थे।
देवेंद्र फडणवीस ने एक सम्बोधन के दौरान इस बात का जिक्र करते हुए कहा था, "यह बेईमानी से बनी सरकार है और मुझे लगता है कि आदरणीय उद्धवजी को अब यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा थी जिसे उन्होंने पूरा किया। राजनीति में महत्वाकांक्षा रखना गलत नहीं है। लेकिन अगर आप अपनी बात रखना चाहते थे, तो आप शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं दिवाकर रावते, सुभाष देसाई या एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना सकते थे।"