सदन में विरोध करते समय सदस्य रखे गरिमा का ध्यान, नियोजित तरीके से गतिरोध पैदा करना मर्यादा के खिलाफ
ओम बिरला सदन में विरोध करते समय सदस्य रखे गरिमा का ध्यान, नियोजित तरीके से गतिरोध पैदा करना मर्यादा के खिलाफ
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को सख्त नसीहत देते हुए कहा कि सदन में विरोध करते समय सदस्यों को गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने जानबूझकर हंगामा करने और नियोजित तरीके से सदन की कार्रवाई को स्थगित करवाने की आलोचना करते हुए कहा कि नियोजित तरीके से सदन में गतिरोध पैदा करना संसदीय मयार्दा एवं परंपरा के अनुरूप नहीं है और सभी राजनीतिक दलों को इसका ध्यान रखना चाहिए।
मंगलवार को असम विधानसभा में 8वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ ( भारत क्षेत्र ) के दो दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन समापन भाषण के बाद मीडिया से बात करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने संसद और विधानसभा के सदस्यों को कड़ी नसीहत देते हुए कहा कि सदन में सभी मुद्दों पर गरिमा और मर्यादा के साथ चर्चा होनी चाहिए और मुद्दों पर असहमति व्यक्त करते समय भी सदस्यों को गरिमा और मयार्दा का ध्यान रखना चाहिए। दल बदल कानून को लेकर बनाई गई समिति की रिपोर्ट के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में समिति के सदस्यों की राय अलग-अलग है और इस पर पीठासीन अधिकारी की बैठक में चर्चा की जाएगी।
इससे पहले राष्ट्रमंडल संसदीय संघ ( भारत क्षेत्र ) के 8वें सम्मेलन में समापन भाषण देते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के कार्यकारी समिति की मध्य वर्षीय बैठक के पहली बार भारत में आयोजन का जिक्र करते हुए इसे भारत और पूर्वोत्तर राज्य असम के लिए महत्वपूर्ण करार दिया। उन्होंने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की कार्यकारी समिति और राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (भारत क्षेत्र), इन दोनों सम्मेलनों के सफल आयोजन के लिए असम विधान सभा अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को धन्यवाद देते हुए उम्मीद जताई कि इन सम्मेलनों में जो विचार विमर्श हुआ है, जो चर्चा संवाद हुआ है और जो निष्कर्ष निकले हैं, वे सिर्फ भारत क्षेत्र के लिए ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के लिए अत्यंत सार्थक और उपयोगी सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलन हमारे विधायी निकायों में ठोस लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं को सुस्थापित करने और विभिन्न विधान मंडलों में आपस में बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इससे हमें लोकतंत्र को और अधिक जवाबदेह, सहभागी और सार्थक बनाने में भी मदद मिलती है।
सम्मेलन में पारित प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में हम देश में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। सभा ने यह प्रस्ताव पारित किया कि इस अमृत महोत्सव में सभी विधान मंडलों को युवा केंद्रित नीतियों का कार्यान्वयन करना चाहिए एवं राष्ट्रीय विकास और लोकहित के लिए युवाओं की क्षमता का अधिकतम उपयोग करना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि हमारे सभी विधान मंडल अपने-अपने राज्य सरकारों, स्वशासी संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर अपने अपने राज्य के विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, ग्रामीण क्षेत्रों में युवा केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हम विधान मंडलों में आकांक्षी वर्गों की समस्याओं, अभावों और कठिनाइयों पर सदन में चर्चा का पर्याप्त अवसर दें ताकि हमारे जनप्रतिनिधि सदनों में चर्चा और संवाद के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट कर सकें। हमारे जनप्रतिनिधि उन वर्गों के लिये ठोस नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण करें ताकि आकांक्षी वर्गों का सामाजिक, आर्थिक कल्याण हो सके। उन्होंने विधानमंडल और अन्य लोकतांत्रिक संस्थाओं में युवाओं की सक्रिय भागीदारी व सहभागिता पर भी बल दिया ताकि उनकी ऊर्जा, उनकी क्षमता का उपयोग करते हुए देश और प्रदेश में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
समापन कार्यक्रम में बोलते हुए सीपीए के कार्यवाहक अध्यक्ष इयान लिडेल- ग्रिंगर ने भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बताते हुए कहा कि भारत युवाओं का सबसे बड़ा देश है। भारतीय लोकतंत्र की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया भर में भारत के लोकतंत्र का सम्मान किया जाता है। असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, असम विधान सभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी और राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने भी समापन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए।
(आईएएनएस)