क्या है दल- बदल कानून का वह पक्ष, जिसके के दम पर एकनाथ शिंदे कह गए इतनी बड़ी बात
महाराष्ट्र ड्रामा क्या है दल- बदल कानून का वह पक्ष, जिसके के दम पर एकनाथ शिंदे कह गए इतनी बड़ी बात
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई में सियासी हलचल के जिम्मेदार बने एकनाथ शिंदे के अगले कदम पर अब सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। फिलहाल, उद्धव ठाकरे से 25 मिनट हुई बात में उन्होंने वापस बीजेपी के साथ गठबंधन में आने की शर्त रखी है लेकिन, शिवसेना उनकी इस शर्त को मानने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। इस दौरान शिंदे ने अपने साथ 35 विधायक होने के बात कही, जबकि शिवसेना के शक्ति प्रदर्शन में पार्टी की पोल खुल गई है, जहां 5 में से सिर्फ 22 विधायक ही उद्धव ठाकरे की बैठक में मौजूद रहे थे, शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटाने वाली चिट्ठी पर 22 के ही दस्तखत है जिसका मतलब ये माना जा रहा है कि 33 विधायक शिवसेना के साथ नहीं हैं।
शायद, यही कारण हैं जो शिंदे, इतने बड़े दावे कर रहे हैं। हालात देखकर जो स्थिति समझ में आ रही है, उसे तो देखकर यहीं लग रहा है कि फिलहाल ड्राइविंग सीट पर एकनाथ शिंदे ही है क्योंकि उन्होंने एक बड़ा बयान जारी करते हुए यह साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र में चुनाव किसी कीमत पर नहीं होने वाले है।
दल-बदल नियम के जिस प्रावधान के तहत उन्होंने यह बात कही है, आइये उसे विस्तार से समझते है।
क्या है दल-बदल कानून?
दल-बदल कानून एक विरोधी कानून है, जो विधायकों या सांसदों को पार्टी बदलने से रोकता है। दरअसल, यदि कोई विधायक चुनाव होने से पहले दल बदल लेता है तो कोई परेशानी नहीं है लेकिन यदि वह किसी एक पार्टी से जीतने के बाद ऐसा करता है तो, उसे पहले विधानसभा से इस्तीफा देना होगा और उसकी सीट पर फिर से चुनाव कराए जाएंगे।
इस नियम के चलते नहीं होगी चुनाव की जरूरत!
लेकिन इस कानून में एक प्रावधान भी है, जिसके तहत पार्टी के 2/3 विधायक एक साथ पार्टी को छोड़ते हैं तो उन्हें इस्तीफा देने की जरुरत नहीं होगी और ना ही उनकी सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे और इस दौरान वह जिस भी पार्टी को समर्थन देंगे, उसकी सरकार बिना किसी परेशानी के सत्ता में आ जाएगी।
बता दें, साल 1985 में, राजीव गांधी सरकार संविधान में संशोधन करने और दलबदल पर रोक लगाने के लिए एक विधेयक लाई और 1 मार्च 1985 को यह लागू हो गया था। संविधान की 10 वीं अनुसूची, जिसमें दलबदल विरोधी कानून शामिल है, को इस संशोधन के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया।