गुजरात में आवारा पशुओं से बढ़ रहा हादसे का खतरा, दावों की खुली पोल
अहमदाबाद गुजरात में आवारा पशुओं से बढ़ रहा हादसे का खतरा, दावों की खुली पोल
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात के पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को तिरंगा यात्रा के दौरान गाय ने टक्कर मार दी। इस घटना के बाद से प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े हो रहे है। इसके अलावा, सरकार की आवारा पशुओं को लेकर किए गए दावों की भी पोल खुल गई है। जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को मेहसाणा में तिरंगा यात्रा के दौरान पटेल को एक गाय ने टक्कर मार दी और शनिवार को पोरबंदर में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के काफिले में एक बैल घुस गया।
पिछले दस महीनों में, 33 जिलों और शहरों में अवारा पशुओं द्वारा 4860 हमले किए गए हैं, जिनमें 28 लोगों की जान चली गई है। सबसे ज्यादा मौतें पोरबंदर (6), बनासकांठा (5) और पाटन (4) से हुईं, जबकि सबसे ज्यादा घटनाएं अहमदाबाद में 524, दाहिद (282), अमरेली (259), सूरत (248) से हुई हैं। राज्य सरकार ने 31 मार्च को गुजरात मवेशी नियंत्रण (रख-रखाव) विधेयक पारित किया था। इसके अनुसार, 8 प्रमुख शहरों और 156 कस्बों में रहने वाले चरवाहों पर अपने मवेशियों को सड़कों पर छोड़ने पर जुर्माने का प्रावधान था।
लेकिन चरवाहों और अन्य लोगों द्वारा विरोध किए जाने और राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी पर दो सप्ताह के भीतर सरकार ने इस विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया। आगामी विधानसभा चुनावों में वोट बैंक में चुनावी सेंध के डर से, सरकार ने विधेयक को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।
मालधारी पंचायत के अध्यक्ष नागजी देसाई का मानना है, कानून पारित करना और जुर्माना लगाना इस समस्या का समाधान नहीं है। आवारा पशुओं की समस्या के दो संभावित समाधान हैं, पहला यह कि राज्य को शहरों का विस्तार बंद करना चाहिए और गांवों का विलय करना चाहिए। 2021 में अकेले अहमदाबाद में 38 गांवों को मिला दिया गया।
उन्होंने आगे कहा, दूसरा उपाय बड़े शहरों से किलोमीटर दूर चरवाहों को वसाहट बनाना है। उदाहरण के लिए, अहमदाबाद शहर में रहने वाले चरवाहों का साणंद, कलोल, देहगाम और खेड़ा जैसे शहर से लगभग 20 से 30 किलोमीटर दूर पुनर्वास किया जा सकता है, जहां राज्य सरकार उन्हें घर, स्थिर और चारा या चरागाह के लिए जमीन प्रदान करे। राज्य कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर ने पिछले हफ्ते वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह चरवाहों को किसान का दर्जा देगी, ताकि वे कृषि भूमि खरीद सकें जिस पर वे घरेलू पशुओं के पालन की जरूरतों को पूरा करने के लिए चारा उगा सकें।
(आईएएनएस)
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