महापदयात्रा के दौरान अमरावती के किसानों में तनाव
आंध्र प्रदेश महापदयात्रा के दौरान अमरावती के किसानों में तनाव
- मजबूरी में मारुपुरु से फिर शुरू हुई पदयात्रा
डिजिटल डेस्क, अमरावती। महापदयात्रा में भाग लेने वाले अमरावती के किसानों और महिलाओं ने पुलिस द्वारा लगाए गए कथित प्रतिबंधों के विरोध में बुधवार को नेल्लोर जिले में सड़क पर धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उनके पैदल मार्च में बाधा उत्पन्न कर रही है जिस कारण वे मारुपुरु के पास सड़क पर बैठ गए जिससे भारी ट्रैफिक जाम हो गया और तनाव पैदा हो गया।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा प्रतिबंध लगाने के प्रयासों की निंदा करते हुए नारेबाजी की गई। विरोध के चलते करीब दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया जिससे वाहन चालकों को काफी परेशानी हुई। अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने की मांग कर रहे किसानों और महिलाओं ने बुधवार को 31वें दिन अपनी महापदयात्रा फिर से शुरू कर दी। पूर्व मंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता एस. चंद्रमोहन रेड्डी ने उनका स्वागत किया।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के नेताओं के कहने पर पुलिस उनके पैदल यात्रा के दौरान समस्या पैदा कर रही थी। मंगलवार को दिन का कार्यक्रम पूरा करने के बाद किसानों और महिलाओं को मारुपुरु के एक आश्रम में रुकना था। हालांकि पुलिस ने उन्हें बताया कि ग्रामीण नहीं चाहते कि वे वहां रहें। इससे किसानों और महिलाओं को नेल्लोर वापस जाने और बुधवार को मारुपुरु से पदयात्रा फिर से शुरू करने के लिए मजबूर किया।
कोर्ट टू टेंपल नाम से अमरावती से तिरुपति तक चलने वाला पैदल यात्रा 1 नवंबर को शुरू हुआ था। जय अमरावती के नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारी हर दिन 10- 15 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। अमरावती परिक्षण समिति और अमरावती ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) द्वारा आयोजित यह 70 गांवों में रुकने के बाद 15 दिसंबर को तिरुपति पहुंचने वाला है।
अमरावती के किसान राज्य की राजधानी को तीन हिस्सों में बांटने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ 700 दिनों से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। महापदयात्रा के साथ उनका विरोध एक नए चरण में प्रवेश कर गया है। प्रकाशम जिले में कुछ स्थानों पर महापदयात्रा पर पुलिस प्रतिबंध का भी आयोजकों ने कड़ा विरोध किया था। पिछले हफ्ते वाईएसआरसीपी सरकार ने राज्य की राजधानी के तीन हिस्सों के लिए पिछले साल बनाए गए दो कानूनों को वापस ले लिया। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया कि यह तीन राज्यों की राजधानियों के विकास के लिए नया और व्यापक कानून लाने के लिए किया गया था।
(आईएएनएस)