नीट पर तमिलनाडु सरकार का पत्र जारी करें
अन्नामलाई नीट पर तमिलनाडु सरकार का पत्र जारी करें
- नीट पर तमिलनाडु सरकार का पत्र जारी करें : अन्नामलाई
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन से नीट से छूट की मांग वाले विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाते समय राज्यपाल आर.एन.रवि द्वारा भेजे गए पत्र को जारी करने को कहा है। अन्नामलाई ने घोषणा की है कि पार्टी के प्रतिनिधि अगले कदम पर चर्चा के लिए स्टालिन द्वारा शनिवार को बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होंगे। अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा लोगों धोखा देने के लिए नहीं बल्कि कल्याण के लिए सरकार को अपना सहयोग देगी।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उठाए गए एक सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने कहा है कि उसके पास उन छात्रों का ब्योरा नहीं है, जिन्होंने निजी कोचिंग क्लास ली है और नीट पास किया है। अन्नामलाई ने कहा कि आंकड़ों की कमी राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एके राजन समिति की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर स्पष्ट रूप से संदेह करती है। अन्नामलाई ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि स्टालिन 2022 में नीट पास करने वाले सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के छात्रों का ब्योरा साझा करने से क्यों हिचक रहे हैं।
राज्यपाल रवि ने 1 फरवरी, 2022 को राज्य के लिए नीट से छूट की मांग करने वाले विधेयक को विधानसभा अध्यक्ष को वापस कर दिया था ताकि इसे छात्रों के हित के खिलाफ विधानसभा में पुनर्विचार किया जा सके। विधेयक को विधानसभा ने 13 सितंबर, 2021 को पारित किया था। राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि राज्यपाल की राय है कि यह विधेयक छात्रों, खासकर राज्य के ग्रामीण और आर्थिक रूप से गरीब छात्रों के हितों के खिलाफ है।
राजभवन ने कहा, इसलिए, माननीय राज्यपाल ने सदन द्वारा पुनर्विचार के लिए विस्तृत कारण बताते हुए, 1 फरवरी, 2022 को माननीय अध्यक्ष, तमिलनाडु विधानसभा को विधेयक वापस कर दिया है।
बयान के मुताबिक, नीट से छूट की मांग करने वाले अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के बिल और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट के विस्तृत अध्ययन के बाद रवि इस नतीजे पर पहुंचे।
समिति की रिपोर्ट ही विधेयक का आधार थी। रवि ने अपने निष्कर्ष पर पहुंचने के दौरान विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए मेडिकल प्रवेश में सामाजिक न्याय की पूर्व-नीट स्थिति की भी जांच की।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में सुप्रीम कोर्ट, वेल्लोर एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2020) मामले ने विशेष रूप से सामाजिक न्याय के नजरिए से इस मुद्दे की व्यापक जांच की और एनईईटी को बरकरार रखा क्योंकि यह गरीब छात्रों के आर्थिक शोषण को रोकता है और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाता है।
आईएएनएस