संवाद: राहुल से बोले नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस- कोरोना संकट ने समाज की कुरीतियों को उजागर किया
संवाद: राहुल से बोले नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस- कोरोना संकट ने समाज की कुरीतियों को उजागर किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था के समाने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। ऐसे में फिर से अर्थव्यवस्था कैसे सुधरे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाए इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज (31 जुलाई) बांग्लादेश के एक प्रख्यात अर्थशास्त्री और बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस से बात की। राहुल नोबेल विजेता यूनुस से कोरोना के अर्थव्यवस्था, बैंकिंग क्षेत्र और आम लोगों के जीवन पर पड़े असर पर मंथन किया। बता दें कि, यूनुस को 2006 में नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
Watch Shri @RahulGandhi"s conversation with Nobel Laureate Prof. Muhammad Yunus. #RebuildingRuralIndiahttps://t.co/WiaWgnSmxx
— Congress (@INCIndia) July 31, 2020
मुहम्मद यूनुस ने जवाब में कहा, कोरोना संकट ने समाज की कुरीतियों को उजागर कर दिया है। गरीब, प्रवासी मजदूर हम सब के बीच ही मौजूद हैं, लेकिन कोरोना ने इन्हें सामने ला दिया है। इन्हें इन्फॉर्मल सेक्टर का हिस्सा माना जाता है, जो अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं। अगर हम उनकी मदद करें तो अर्थव्यवस्था को आगे ले जा सकते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं। अगर महिलाओं की बात की जाए तो उन्हें समाज में निचला दर्जा दिया गया, अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उन्हें कोई पूछता ही नहीं, लेकिन महिलाओं ने समय-समय पर खुद को साबित किया है।
Tweet: राहुल गांधी का पीएम पर वार- देश को बर्बाद कर रहे हैं मोदी, जल्द ही टूटेगा भ्रम
नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने कहा, कोरोना वायरस ने समाज की कमजोरी को उजागर कर दिया है और अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों की पहचान नहीं की जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे मजदूरों की पहचान करना जरूरी है।
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक ने कहा, वित्तीय प्रणाली का निर्माण काफी गलत तरीके से किया गया है। कोविड-19 संकट ने समाज की कमजोरी का खुलासा कर दिया। गरीब लोग थे, प्रवासी मजदूर शहरों में थे। लेकिन अचानक हमने देखा कि लाखों की संख्या में ये लोग अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं। वह भी इनलोगों ने अपने कदमों से हजारों मील की दूरी तय की। यह कोविड-19 का सबसे दुखद भाग है, जिसका खुलासा हो गया।
राहुल गांधी ने उनसे कोरोना की वजह से गरीबों की वित्तीय हालत, महिलाओं पर गरीबी का असर और कैसे यह कोविड-19 संकट और मौजूदा आर्थिक संकट गरीबों पर प्रभाव डालने वाला है, इत्यादि सवाल पूछे।नोबल पुरस्कार विजेता ने कहा, अर्थव्यवस्था इन लोगों की पहचान नहीं करती है। वे इसे असंगठित क्षेत्र कहते हैं। असंगठित क्षेत्र मतलब हमें उनसे कोई लेना-देना नहीं है। वे अर्थव्यवस्था का भाग नहीं है। अर्थव्यवस्था की शुरुआत संगठित क्षेत्र से होती है, हम संगठित क्षेत्र के साथ व्यस्त हैं। अगर हम केवल उन्हें वित्तपोषित करेंगे, उनका ख्याल रखेंगे तो वे आगे बढ़ेंगे।
यूनुस ने कहा, इनसब में महिलाओं की हालत सबसे खराब है। आप संरचना देखें, ये लोग इसमें सबसे नीचे हैं। उनकी कोई आवाज नहीं है। परंपरा उन्हें पूरी तरह से अलग कर देती है। वे समाज की मूल ताकत हैं।उन्होंने कहा, जब बात औद्योगिक क्षमता की आती है और माइक्रोक्रेडिट महिलाओं को दिया जाता है, तो उन्होंने दिखाया है कि उनमें कितनी उद्यम क्षमता है। इसलिए माइक्रोक्रेडिट को पूरी दुनिया में सभी जानते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। वे लड़ सकती हैं, उनमें क्षमता है और सभी तरह का कौशल है। उन्हें भुला दिया गया क्योंकि वे सभी असंगठित क्षेत्र के तहत आते हैं।