नगा राजनीतिक मुद्दा अंतिम चरण में, समाधान चाहते हैं पीएम : नड्डा
नागालैंड नगा राजनीतिक मुद्दा अंतिम चरण में, समाधान चाहते हैं पीएम : नड्डा
- बहिष्कार करने का अपना आह्वान
डिजिटल डेस्क, कोहिमा। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने यहां मंगलवार को कहा कि नगा राजनीतिक मुद्दा अब अपने अंतिम चरण में है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले के जल्द समाधान के लिए बहुत उत्सुक हैं।
कोहिमा में भाजपा और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) की एक संयुक्त चुनावी रैली को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह नगा मुद्दे के समाधान के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं और मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और उपमुख्यमंत्री वाई. पैटोन इसके साक्षी हैं।
भाजपा प्रमुख ने कहा, नगा मुद्दे को हल करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं। नागालैंड के कई पुलिस थानों से सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम वापस ले लिया गया है। नड्डा ने अलग फ्रंटियर नागालैंड राज्य की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि इस मांग को लेकर अमित शाह ने जो भी वादा किया है, उसे अक्षरश: लागू किया जाएगा।
प्रभावशाली नागा निकाय, ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) ने 4 फरवरी को गृहमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद अलग फ्रंटियर नागालैंड राज्य की अपनी मांग के समर्थन में 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का अपना आह्वान वापस ले लिया।
ईएनपीओ मोन, तुएनसांग, किफिरे, लोंगलेंग, नोकलाक और शामतोर जैसे छह जिलों की वर्षो से उपेक्षा किए जाने का दावा करते हुए 2010 से एक अलग राज्य की मांग कर रहा है। नड्डा ने यह भी कहा कि भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है, जो क्षेत्रीय आकांक्षाओं को समझती है।
उन्होंने कहा, कांग्रेस ने तमिलनाडु सहित कई पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों में कई वर्षो तक शासन किया, लेकिन अब वे कहीं दिखाई नहीं देते हैं, क्योंकि ये पार्टियां क्षेत्रीय आकांक्षाओं को समझने में विफल रही हैं। पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी कई क्षेत्रीय दल आए, जो जन आकांक्षाओं को समझ नहीं पाए।
नड्डा ने कहा कि भाजपा क्षेत्रीय आकांक्षाओं के साथ राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को किसी भी अन्य राजनीतिक दल से बेहतर समझती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि 2006 से 2014 के बीच पूर्वोत्तर राज्यों में 8,700 से ज्यादा हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें अब 74 फीसदी की कमी आई है।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा हमेशा आदिवासियों के सर्वागीण विकास का समर्थन करती है और इसी उद्देश्य से आदिवासी समुदाय की एक महिला भारत की राष्ट्रपति बनी है, जबकि केंद्रीय कैबिनेट में आदिवासी समुदाय के तीन राज्यपालों के साथ आठ आदिवासी मंत्री हैं।
आईएएनएस
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