मुस्लिम लीग ने धार्मिक चिन्ह का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों को बैन करने के लिए दायर की याचिका, BJP भी लिस्ट में शामिल 

सुप्रीम कोर्ट से गुहार मुस्लिम लीग ने धार्मिक चिन्ह का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों को बैन करने के लिए दायर की याचिका, BJP भी लिस्ट में शामिल 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-20 13:52 GMT
मुस्लिम लीग ने धार्मिक चिन्ह का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों को बैन करने के लिए दायर की याचिका, BJP भी लिस्ट में शामिल 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धर्म ने हमेशा से ही भारतीय राजनीति में एक सक्रिय भूमिका निभाई है। अक्सर राजनेता धर्म या जाति के नाम पर वोटर्स को रिझाने की कोशिश करते है। इसलिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अब ऐसे राजनीतिक पार्टियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जो धार्मिक नाम और चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करती है। मुस्लिम लीग की इस फेहरिस्त में सत्ताधारी बीजेपी पार्टी भी शामिल है। इस मामले में बीजेपी को प्रतिवादी बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। लीग ने बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल को 'धार्मिक चिन्ह' बताया है।  मुस्लिम लीग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सोमवार को जस्टिस एमआर शाह और सीटी रवि कुमार की पीठ के सामने इस याचिका पर अपनी दलीलें पेश की। 

मुस्लिम लीग के अधिवक्ता ने क्या कहा - 

एडवोकेट दवे ने कहा कि हमने इस मामले में कई पक्षों को शामिल करते हुए एक याचिका दायर की है। इनमें भारतीय जनता पार्टी भी शामिल है जिसका चुनाव चिन्ह कमल है जो एक धार्मिक चिन्ह है। मुस्लिम लीग की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि कमल हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ धार्मिक प्रतीक है। बीजेपी के अलावा, शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल, हिंदू सेना, हिंदू महासभा, क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक फ्रंट और इस्लाम पार्टी हिंद जैसी 26 अन्य पार्टियों को भी प्रतिवादी बनाने की मांग की गई है।

इस याचिका में कहा गया है कि हिंदू धर्म के अनुसार, हर इंसान के भीतर एक पवित्र कमल आत्मा होती है। यह अनंत काल, पवित्रता, देवत्व का प्रतीक है। साथ ही इसका उपयोग जीवन, उर्वरता, नए सिरे से युवाओं के प्रतीक के रूप में किया जाता है। कमल के फूल का उपयोग स्त्री की सुंदरता का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है, खासकर महिलाओं की आंखों के संबंध में। बौद्धों के लिए, कमल का फूल मनुष्य की सबसे उन्नत अवस्था का प्रतीक है। इतना ही नहीं... हिंदू धर्म में भगवान विष्णु, ब्रह्मा, शिव और लक्ष्मी माता को भी कमल के फूल से जोड़ा जाता है।

याचिका का नहीं है कोई महत्व 

इस मामले पर AIMIM की ओर से आज भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने याचिका की वैधता पर ही सवाल उठाया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता के किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है और इसलिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका अपनी योग्यता खो देती है। साथ ही, याचिकाकर्ता ने सभी राजनीतिक दलों को धार्मिक नामों से जोड़ने के पहले के निर्देश का पालन नहीं किया है। अतः इस आधार पर याचिका खारिज किये जाने योग्य है।

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