लोकतंत्र की असली पहिचान मुरैना बीजेपी मेयर प्रत्याशी मीना, बदलते दौर में भारतीय समाज को देती हैं सीख और प्रेरणा
नगर सरकार लोकतंत्र की असली पहिचान मुरैना बीजेपी मेयर प्रत्याशी मीना, बदलते दौर में भारतीय समाज को देती हैं सीख और प्रेरणा
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। लोकतंत्र की असली पहिचान होती हैं कि गरीब से गरीब व्यक्ति सियासत की कुर्सी पर बैठे, और जनता के हित में सियासी गद्दी संभालते हुए कार्य करें। वास्तविक लोकतंत्र तभी जीवित माना जाता है। गरीबी के अंतिम पायदान पर खड़े आम नागरिक को राजनीति के मार्ग से जब सत्ता से सेवा का मौका मिलें तब गरीबी से पीड़ित समुदायों को पार्टियों से इतर अपना अमूल्य बेशकीमती वोट गरीब नेता के पक्ष में करना चाहिए , जो निर्धन परिवारों के हित के साथ साथ देश हित में भी सार्थक हैं।
देश को सत्तर साल के इतिहास में नरेंद्र मोदी नाम का एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो नारों में नहीं हकीकत में भी देश से गरीबी खत्म करना चाहता हैं। आज हम सब देशवासियों को मिलजुलकर उनके साथ एक कदम मिलाकर चलना चाहिए। पीएम मोदी ही हैं जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र पर कब्जा कर बैठे परिवारवादियों पर निशाना साधा, ये वो परिवारवादी है जो सत्तर सालों से सियासत के नाम पर देश को खोखला कर रहे हैं। आज गरीबी खत्म करने का वक्त आ गया हैं। लेकिन इससे पहले हम सभी देशवासियों को परिवारवादियों का जड़ से सफाया करना है, हम सभी देशभक्त ये प्रण लेते है कि हम बुलैट से नहीं बैलेट से सफाया करेंगे। जनता ऐसे सियासी परिवारों को खत्म कर विकास के मार्ग पर चलने को तैयार हैं। जिन्होंने आजादी के बाद से देश को लूटकर रखा हैं।
मध्यप्रदेश में हो रहे नगरीय निकायों के चुनावी परिदृश्य में मैं भारतीय जनता पार्टी के मुरैना महापौर प्रत्याशी चेहरें मीना जाटव पर जिले की जनता का ध्यान खींचना चाहता हूं। जिनके सामने चुनावी मैदान में एक ओर राजनीति और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार हैं। मीना की तारीफ स्वयं सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके हैं। सीएम ने मीना की तारीफ एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के तौर पर की हैं। हर भारतवासी को पता है कि एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कैसे छोटे छोटे बच्चों का पालन पोषण करने में मदद करती हैं। गली मोहल्लों के छोटे छोटे निर्धन परिवारों के घर घर पहुंचकर भूख से पीड़ित बच्चों को बुलाकार उन्हें खाना खिलाकर कुपोषण के शिकार से बचाती हैं। और उनके स्वास्थ का ख्याल रखती हैं।
परिवार बचाने और चलाने का तुजुर्बा रखने वाली बीजेपी मेयर प्रत्याशी मीना जाटव के जीवन की गाथा भी संघर्षों से भरी पड़ी हैं। मुरैना जिले के सिहौरी गांव में जन्मी मीना का जन्म एक अतिगरीब परिवार में हुआ। पिता रामजीलाल खेती किसानी और जानवरों के पालन से बमुश्किल परिवार को दो जून की रोटी का बंदोबस्त कर पाते। चूल्हें पर रोटियां सेकने के लिए परिवार जंगल से लकड़ियां बीन बीनकर लाता, तब जाकर घर में खाना पकता। पिता को मजबूरी में दूसरों के खेतों में मजदूरी करनी पड़ती, जिसके बदले में उन्हें काफी कम रकम अदा हो पाती हैं। इतनी कमाई से गरीबी से मजबूर पिता अपने बच्चों को मुश्किल से पढ़ा पाते। ढ़ेरों परेशानियों और मजबूरियों के आगे ना पिता ने हार मानी न बेटियों ने। बारिश के मौसम में बच्चों की पढ़ाई के दौरान झोपड़ी से टपकने वाले बूदों से मीना के पिता रामजीलाल बड़ी मुश्किल से धान और बाजरे के डंडल से बचाते। लेकिन भविष्य की किस्मत देखिए आज भी मीना एक शहर के बीचों बीच एक छोटे से घर में रहती हैं। लेकिन बीजेपी ने धनवानों को छोड़कर अतिगरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली मीना पर भरोसा जताते हुए पूरे शहर का दायित्व संभालने के लिए मेयर उम्मीदवार बनाया हैं। ताकि शहर का विकास पूर्ण ईमानदार और निष्ठा से हो सकें। अब देखना ये हैं कि जनता अपनी जिम्मेदारी कितनी निभाती हैं और मीना को मतदान करती हैं।
मीना के पिता के परिवार में तीन बेटियां तीन बेटे होने के कारण परिवार हमेशा परिस्थितियों से जूझता रहा। करीब ढ़ाई दशक पहले गरीबी में ही छोटी सी उम्र में ही मीना की शादी हो गई। अब मीना मुरैना शहर में आकर रहने लगी। शहर की ससुराल में भी मीना ने पढ़ाई का सहारा नहीं छोड़ा, इसी बीच मीना परिवार समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड गई। धीरे धीरे मीना ने एक एक कर अपने भाईयों को शहर में पढ़ने के लिए बुला लिया। मीना की परिस्थितियां तब कम हो गई जब संघर्ष और शिक्षा के चलते उनके बड़े भाई की नौकरी लग गई। धीरे धीरे मीना के प्लान ने अपने माता पिता के पूरे परिवार को शहर में बुला लिया और वह अपने अन्य दो भाईयों को पढ़ाने में लग गई। संघर्ष और शिक्षा के सहारे धीरे धीरे परिवार का भविष्य बदलने लगा, आगे चलकर मीना के अन्य दो भाईयों की भी सरकारी नौकरी लग गई। मीना के पति मुकेश जाटव भी एक संघर्षशील व्यक्तित्व के धनी हैं, जिन्होंने अपनी पत्नि का हर दम साथ दिया, मुकेश परिवार के खर्चे के लिए एक छोटी सी मेडिकल दुकान पर कार्य करते थे।
परिवार के सामने खड़ी पहाड़ जैसी परिस्थितियों का मीना ने डटकर सामना किया और अपने पिता का हमेशा सहयोग किया, लेकिन अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। पति के परिवार को भी संभालने के लिए मीना ने आंगनबाड़ी में छोटी मोटी नौकरी प्राप्त कर ली। संघ ने मीना के संघर्ष को देखते हुए बीजेपी की ओर से मुरैना महापौर प्रत्याशी बनाया गया हैं ताकि समाज में संघर्ष की सफलता का उदाहरण पेश किया जा सकें। भारतीय समाज की छात्राओं को बदलते दौर में मीना के संघर्ष से सीख और प्रेरणा लेनी चाहिए।
महापौर नगर निगम मुरैना में बीजेपी प्रत्याशी मीना जाटव गली गली में मतदाताओं से संपर्क साध कर सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका सहयोग सब की सेवा राह पर चलकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही हैं।